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किरया १]
८ पोलासपुर के राजा विजय थे, जिनकी रानी श्रीदेवी के पुत्र अतिमुक्तक कुमार
में भ० महावीर से दीक्षा जी ।
९ बनारस के राजा श्रलक्ष को भ० महावीर ने दीक्षित किया था ।
१० महापुर के राजा का नाम बल, रानी का नाम सुभद्रा, राजकुमार का नाम महाबल था ।
महाबल भ० महावीर के पास दीक्षित हुए थे ।
११ मृगगाम का राजा विजय क्षत्रिय एवं रानी मृगावती थी ।
१२ रोहीतक नगर का राजा वैश्रमणदत्त एवं रानी श्रीदेवी थी ।
१३ वर्धमानपुर का राजा विजय मित्र था ।
१४ विजयपुर का राजा वासवदत्त व रानी कृष्णा थी । राजकुमार सुवास ने भ० महावीर से दीक्षा ग्रहण की।
भ० महावीर के समकालीन नृपति गया
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ने बाल्यावस्था
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१५ वीरपुर के राजा का नाम वीरकृष्ण मित्र एवं रानीका नाम श्रीदेवी था । राजकुमार सुजात भ० महावीर के शिष्य बने थे ।
१६ साकेत के राजा मिश्रनंदि और रानी श्रीकान्ता थी ।
१७ सुप नगर का राजा अर्जुन, रानी तत्त्रवती थी। राजकुमार महनंदी भव महावीर के उपदेश से पहले श्रावक फिर माधु होगये 1
१८ सौगन्धिका नगरी के राजा अप्रतिहत एवं रानी सुकृष्णा श्री ।
३९ हस्तिशीर्ष नगर का राजा अदीनशत्रु व रानी का नाम धारिणी था ।
२० स्थानाङ्ग सूत्र के ८ वे स्थानक में भ० महावीर के दीक्षित ८ राजाओं के नाम हैं-
(१) वीरांगक ( २ ) वीरजम (३) संजय ( ४ ) यक (५) श्वेत (सेय ) ( का पुत्र शिवभद्र धा) (६) शिव (७) उदायन और 'संख' इनमें शिव, गजपुर ( हस्तिनापुर ) एवं उदायन, वीतभय के राजा थे । श्रवशेष नरेश कहाँ के थे ? अन्वेषणीय है । नं० १ से १९ तक राजाओं का उल्लेख "श्रमण भ० महावीर" नामक ग्रन्थ में है ।
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प्रसंगवश यहाँ एक बात का स्पष्टीकरण और भी कर देना आवश्यक समझता हूं कि भ० महावीरकालीन सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति के बारे में आजकल जो कुछ लिखा जाता है वह भी एकांगी एवं त्रुटिपूर्ण हैं । उस समय में सब धर्मों के धर्माचार्यों के प्रति बहुमान एवं धार्मिक जिज्ञासा आदि अनेक अनुकरणीय एवं उपयोगी बातें बड़ी ही सुन्दर थीं उन पर कोई विद्वान् प्रकाश तक नहीं डालता | मैंने अपने "भ० महावीर के समय की सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थिति" लेख द्वारा विद्वानोंका ध्यान इस ओर आकर्षित भी किया था जो कि महावीर संदेश व १ श्रं १४ में प्रकाशित हैं, खेद है कि अभीतक किसीने ध्यान नहीं दिया
।
आशा हैं भविष्य में उस ओर भी ध्यान दिया
जायगा ।