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जैन सिद्धान्त - Her आरा का वार्षिक freरा
[ २५-५-४७ - ११-६-४८ ]
वीर संवत् २४७३ ज्येष्ठ शुक्ला पञ्चमी से वीर संवत् २४७४ जोष शुक्ला चतुर्थी तक 'भवन' के सामान्य दर्शक - रजिस्टर में ७१५.४ व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किये हैं। इधर जबसे भारत को स्वतन्त्र्य की प्राप्ति हुई है, समाचार-पत्र पढ़नेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है। नगर के मध्य में 'भवन' के रहने से समाचार-पत्रों के पढ़नेवाले पाठक अधिकाधिक संख्या में आते हैं, इनमें से अधिकांश ऐसे भी हैं जो दर्शक रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं करते; श्रतः इस प्रकार की कृपा करनेवाले व्यक्तियों की संख्या भी हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्तियों से कहाँ अधिक है ।
विशिष्ट दर्शकों में श्रीमान बाई० जी० पद्मराजैय्या, प्रोफेसर महाराज कालेज मैसूरु; श्रीमान् पं० जनार्दन मिश्र वेदना हम बीमान्मा ज्योतिवार्य हिन्दू विश्वविद्यालय काशी : श्रीमान एस० बी० इम्पैक्टर पंजाब नेशनल बैंक श्रमान् सी० वूलले रिसर्च स्कान्तर इतर यूनानी खुशाल जैन साहित्याचार्य काशी एवं बाबा react याद के नाम लेख योग्य है। इन विद्वानों ने अपनी शुभ सम्मतियों द्वारा भवत' की कृपा और उसके संग्रह की शुक्त कठ से प्रशंसा की है। 'भवन' के प्राचीन मूल्यवान का विवरणा विश्वमित्र और प्रायवित दैनिक पत्रों में भी प्रकाशित है ।
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प्रकाशन : - 'भवन के इस विभाग में जैत-सिन्नर तथा जैन प्रकाशन पूर्ववत् चालू रहा । 'भास्कर' उत्तरोत्तर लोकप्रिय होता जा रहा है. इसके भाग १४ के सम्बन्ध में प्रो० सुरेन्द्रनाथ घोपाल, मो० जगन्नाथ शर्मा, और श्रीमान् तेजनारायगालाल सदाकत आश्रम पटना ने अपना महत्त्वपूर्ण सम्मनियाँ भेजी है। आप लोगाने भास्कर की ठोस सामग्री की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इसे जैन इतिहास का एक उपयोगी ग्रन्थ बतलाया है ।
परिवर्तनः -- इस वर्ष भी प्रतिवर्ष के समान लिये गये । निम्नलिखित पत्र पत्रिकाएँ भी 'मास्क हिन्दी - ( १ ) नागरी प्रचारिणी पत्रिका (
'वन' के कान से परिवर्तन में ग्रन्थ के परिवर्तन में यानी रही हैं
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सम्मेलन पत्रिका ( ३ ) साहित्य सन्देश
( ४ ) अनेकान्त ( ५ ) विज्ञान (६) आजकल (७) किशोर (= ) वैद्य ( १ ) हिमालय (१०) जिनवाणी ( ११ ) जनवाणी (१२) संगम (१३) जैन महिनादर्श (१४)
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