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भास्कर
[भाग १५
लिये उन्हें जितना धन्यवाद दिया जाय थोड़ा है। समाज जिस प्रन्थराज के दर्शनों के लिये लालायत था वही ग्रन्थराज सभी के समक्ष स्वाध्याय के लिये सुलभ्य है। छपाईसफाई सुन्दर है, प्रूफ में एकाध जगह अशुद्धियाँ रह गई हैं; फिर भी ग्रन्थ को उपादेयता
और सुन्दरता के समक्ष नगण्य हैं। स्वाध्याय प्रेमियों को अवश्य मंगाकर इसका स्वाध्याय कर पुण्यलाभ लेना चाहिये ।
मोचमार्ग प्रकाश का आधुनिक हिन्दी रूपान्तर-रचयिताः स्व० पं० टोडरमल; सम्पादक और रूपान्तरकारः ६० लालबहादुर शास्त्री; प्रकाशकः मंत्री साहित्य विभाग भा० दि० जैन संघ चौरासी मथुरा; पृष्ठ संख्याः +६०+३६८; मूल्यः आठ रुपये। __ यह भा० दि० जैन संघ ग्रन्थमाला का द्वितीय पुष्प है। समाज में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो मोक्षमार्ग प्रकाश के नाम से अपरिचित हो। आजतक स्वाध्याय प्रेमियों के सामने इस ग्रन्थ की प्राचीन मारवाड़ी भाषा स्वाध्याय में बाधक थी, पर अब यह कठिनाई दि० जैन संघ मथुरा के प्रयास से दूर हो गई। जिससे साधारण शिक्षित भी जैनधर्म के गहन विषयों का अध्ययन कर सकेंगे। प्रन्थ के आरम्भ में ही श्री टोडरमल जी लिखित मोक्षमागे प्रकाश की प्रति के पत्र का चित्र मुद्रित है, जिससे उनकी हस्तलिपि का परिचय हो जाता है। अनन्तर सम्पादक जी की विस्तृत प्रस्तावना है. इसमें आपने ग्रन्थ का विषय, रचनाशैली, भाषा, भावों का प्रकटीकरण, पं० टोडरमलजी की कवित्व शक्ति, प्रतिभा उनका गम्भीर अध्ययन तथा उनके जीवन की अन्यान्य घटनाओं पर सुन्दर प्रकाश डाला है। प्रन्थ की विषयगत विशेषताओं का निरूपण बड़े अच्छे ढंग से किया है।
श्री पं० लालबहादुरजी ने हिन्दी रूपान्तर इसना सुन्दर और समुचित किया है जिससे प्रन्थ की मौलिकता ज्यों की त्यों अक्षुण्ण बनी हुई है और पाठक को उतना ही
आनन्द प्राता है जितना मूल पुस्तक के अध्ययन में। ग्रन्थ के अस्पष्ट विषय को स्पष्ट करने के लिये पाद टिप्पण भी दिये हैं, जिससे ग्रन्थ का आशय भली भाँति हृदयंगम हो जाता है। __ ग्रन्थ के अन्त में दो महत्वपूर्ण परिशिष्ट दिये गये हैं, जिनमें प्रन्थ के सूत्र वाक्यों को विशदार्थ देकर खुलासा किया गया है। इस प्रकार ग्रन्थ के हृद्य को इतना स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रत्येक स्वाध्याय प्रेमी बुद्धि पर बिना जोर दिये सरलता से जैनागम के उच्चतम विषयों को अवगत कर सकेगा। वास्तव में इसके सम्पादन में अत्यन्त परिश्रम किया गया है, जिससे यह ग्रन्थ सर्वाङ्ग सुन्दर बन गया है। ऐसे सर्वाङ्गीण