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किरण १
सम्राट् सम्प्रति और उसकी कृतियाँ
कुछ ऐतिहासिक विद्वान सम्प्रति का उत्तराधिकारी शालिशुक को मानते हैं । इसने ई. पू. २०७ से ई० पू० २०६ तक अर्थात एक वर्ष गज्य किया था। शालिशुक का पुत्र देववर्मा हुअा, इसने ई. पू. २०६ से ई. पू. १६६ अर्थात् ७ वर्ष राज्य किया। इसके दो पुत्र हुप शतधनुष और वृहद्रय । शतधनुष ने ई० पू० १६८ से ई० पू० १६१ तक अर्थात् ८ वर्ष राज्य किया तथा बृहद्रथ ने ई० पू० २६१ से ई. पू. १-४ तक अर्थात् ७ वर्ष राज्य किया। इसके पश्चात् इस वंश का योग्य राज्यशासक के न होने से राज्य समाप्त हो गया।
दिन्दू पुराणों में कुणाल का शासन काल ई० पू० २३२ से ई० पू० २२४ तह अर्थात् ८ वर्ष तक माना गया है। परन्तु जंन और बौद्ध माहित्य में अन्धा होने के कारण कुणाल को शासक नहीं माना। वास्तविक बात यह है कि पुराणों में अशोक तक तो मौर्य वंशावली एक म्प में मिलती है, पर इसके बाद की वंशावली में परस्पर मत भिन्नता है। विण पुराण और भगवत पुराण में अशोक के उत्तराधिकारी का नाम 'सुयश है; किन्तु उसी स्थान पर वायु पुगण में 'कुणाल' और ब्रह्माण्डपुराण में कुशाल है। सुयश, कुणाल या कुशाल के पीछे विष्णुपुराण में 'दशरथ' का नाम है एवं वायु और ब्रह्माण्डागरण में बन्धुपालित का नाम मिलता है। भागवतकार इसी स्थान पर संयन' नाम लिखते हैं। मत्स्य पुराण में अशोक का उत्तराधिकारी 'सप्नति' (सम्प्रति) बताया है । पगगकारों की इस मत भिन्नता के आधार पर यही कहा जा सकता है कि अशोक के पिछले मौर्य राजाओं की वंशावली की पुराणकारों को यथार्थ जानकारी नहीं थी । मत्स्यपुराण के कथन का समर्थन जैन और बौद्ध साहित्य से होता है, अतः अशोक का उत्तराधिकारी सम्पति को ही मानना उचित है । मत्स्यपुराण में बताया है
पत्रिशनु समा राजा, भविताऽशोक एव च । सप्तति ( सम्प्रति ) दर्शवर्षाणि, तस्य नप्ता भविष्यति ।। राजा दशरथोऽयौ तु, तस्य पुत्रो भविष्यति ।
-मत्स्यपुराण अध्याय २७२ श्लो० २३-२४ बौद्ध ग्रन्थ दिल्यावदान के २९ वें अवदान में जो वृत्तान्त पाया है ।, उससे प्रकट है कि अशोक की बीमारी के समय अशोक का पौत्र युवराज सम्प्रति पाटलीपुत्र में था और अशोक की मृत्यु के उपरान्त उसका वहीं राज्याभिषेक हुआ।
१-"अपि च राधगुम, अयं मे मनोरथो बभूव कोटोशतं भगवच्छामने दास्यामीति, सच मेऽभिप्रायो न परिपूर्णः । ततो राजाशोकेन चत्वारः कोटयः परिपूरयिष्यामीति हिरण्यं मुवर्ण कुकटारामं प्रेपयितुमारब्धः।