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[ भाग १७
लाभ उठाते तथा जैनधर्म के गूढ़ तथ्यों को समझने में सुलभता होती । स्वाध्याय प्रेमियों को इस ग्रन्थमाला के सभी ग्रन्थ मंगाकर लाभ उठाना चहिये ।
जैन महिला-शिक्षा-संग्रह - संग्राहकः पं० परमानन्द जैन शास्त्री, प्रकाशक : वीरसेवा मन्दिर, सस्ती प्रन्थमाला, दरियागंज दिलं; पृष्ठ संख्या: २०० मूल्य : एक रुपया ।
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भाम्कर
यह ग्रन्थ स्त्रियोपयोगी है। इसमें स्त्री-पुरुष के कत्तव्य, दाम्पत्य प्रेम, सास-बहू का नैतिक कर्त्तव्य, देवरानी-जिठानी की प्रवृत्ति और कर्त्तव्य, सेवाकर्म और सदाचार, महिला कर्त्तव्य, शिक्षा, नारी दिनचर्या, मिध्यात्व निषेध, सूतक पातक, माता की शिक्षा आदि विषयों का विरूपण किया गया है। लेखक ने नारियों के लिये अनेक ज्ञातय बातें इसमें बतलायी हैं। चौका की क्रियाओं का निरूपण प्रत्येक जैन नारी के लिये जानना आवश्यक हैं ।
पुस्तक की भाषा शिथिल और अपरिमार्जित है । भावों का चयन भी जहाँ-तहाँ स्कुटरूप में हुआ है । शैजो भी पुरानी संग्रहात्मक है । यदि आधुनिक शैली में इस पुस्तक का निर्माण किया जाता तो यह केवल जैन नारी समाज के लिये ही उपादेय नहीं होती, बल्कि समस्त भारतीय नारी समाज के लिये उपयोगी और पठनीय होती ।
सुख की एक झलक (श्री १०५ तुल्लक गणेशप्रसाद जो वर्णों के प्रवचनों का संग्रह ) - संकलयिता : श्री कपूरचन्द जी जैन बी० ए०. बरैया, लश्कर, प्रकाशक : सस्ती ग्रन्थमाला ७ ३३ दरियागंज दिल्ली, पृष्ठ संख्या : ५ + १६६; मूल्य : दस आना ।
पूज्य वर्णी जी जैन समाज की अनुपम विभूति हैं । आप अध्यात्म विद्या और तत्वज्ञान के पूर्ण रसिक हैं। जगत कल्याण की भावना से दिये गये आपके ये प्रवचन आज के पथ भ्रष्ट मानव समाज को सुख और शान्ति प्रदान करने वाले हैं । वर्तमान में भारतीय समाज के लिये ये प्रवचन नितान्त उपयोगी हैं। इस पुस्तक में जीवन की शुभ अशुभ प्रवृत्तियाँ, मोह की महत्ता, सम्यग्दृष्टि और उसको प्रवृत्ति, ज्ञान की स्वच्छता, इन्द्रियों की विषय प्रभुता, शुद्ध चेतना के श्रालम्बन, सम्यग्दृष्टि का आत्म परिणाम, भेद विज्ञान की महिमा, आत्मा का ज्ञान स्वभाव, श्रात्मा का आवृत्त स्वरूप, श्रात्म-भावना, सच्चा पुरुषार्थ, परिग्रह ही पाप का कारण है, बंब का स्वरूप, त्याग का वास्तविक रूप, अहिंसा तत्त्व आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। प्रवचनों की शैली इतनी सरल और आशुवोध गम्य है कि साधारण पाठक भी भावों को आसानी से हृदयंगम कर सकता है। शास्त्र प्रवचन कर्त्ताओं और व्याख्यान दाताओं को भी इन प्रवचनों से बड़ा भारी लाभ होगा ।