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भास्कर
[भाग १७
नाममाला और भाष्य पर दी गयी हैं, विशेष उपयोगी हैं। संस्कृत के प्रेमियों को इस महत्वपूर्ण कृति से लाभ उठाना चाहिये।
उज्वल प्रवचन (महासती उज्ज्वल कुमारी जो के राष्ट्रीय महापुरुषों के सम्बन्ध में किये गये प्रव वन)-सम्पादक : रत्नकुमार जैन रत्नेश; प्रकाशक : मूलचन्द बड़जात्या भारत जैन महामण्डल वर्धा; पृष्ठसंख्या : ८६; मूल्य : दस आना।
इस पुस्तक में भगवान महावीर स्वामी, बुद्धदेव, मानवता प्रेमी बुद्ध और बापू, पुण्यश्लोक गाँधी जी, विवेकानन्द, महात्मा तिलक, रवीन्द्रनाथ टैगोर, यन्त्रयुग और गृहोद्योग, महात्मा गाँधी आदि ११ प्रवचन संकलित हैं। सती जी ने असाम्प्रदायिक ढंग से महापुरुषों के सम्बन्ध में जानकारी की अनेक बातें इन प्रवचनों में बतलायी हैं।
आपकी विचारशैली सुलभ है। विषय निरूपण को शैतो भी अनूठी है। स्वाध्याय प्रेमियों को मंगाकर पढ़ना चाहिये। छपाई-सफाई अच्छी है।
बुद्ध और महावीर तथा दो भाषण- लेखकः किशोरीलाल घ० मशरूबाला; अनुवादक : जमनालाल जैन; प्रकाशकः भारत जैन महामण्डल वर्धा;-पृष्ठ संख्या : १५८, मूल्य : एक रुपया।
इस छोटी-सी पुस्तिका में भगवान महावीर और बुद्ध के जीवन वृत्त एवं उनके उपदेशों का प्रतिपादन किया गया है। भगवान महावीर की जीवन गाथा में उनके विवाह करने का भी उल्लेख किया है, जो भ्रामक है। ले बक ने अज्ञानतावश विवाहवाली बात लिखदी है, पर न मालूम अनुवादक ने पाद टिप्पण उसपर क्यों नहीं दिया ? भगवान महावीर श्राजन्म ब्रह्मचारी रहे; उन्होंने अपनी साधना द्वारा सर्वज्ञता प्राप्त कर संसार को कल्याणकारी उपदेश दिया थ।। वास्तव में जैनों के अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध श्रमण संकृति के अमूल्य रन हैं । इन दोनों महापुरुषों ने श्रमण संस्कृति का पुरुत्थान और प्रवार कर जनसाधारण को जाप्रत किया था। लेखक की विचारशैलो संयत और विवेक पूर्ण है । महावीर जयन्ती
और पर्युषण पर्व के अवसर पर दिये गये मशरूवाता के दो भाषण भी इसमें संकलित हैं। इन दोनों भाषणों में अनेक जानकारी को बातें मौजूद हैं।
अनुवादक की शैली भी प्रशसनीय है, पढ़ने में कहीं भी अनुवाद की ऊबड़खाबड़ भूमि से नहीं जाना पड़ता है, बल्कि मूल ग्रन्थ की भाषा का आनन्द मिलता है। ऊपर का गेटप सुन्दर है, छपाई-सफाई अच्छी है।