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किरण २]
अरब, अफगानिस्तात और ईरान में जैनधर्म
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काबुल और पूर्वीय अफगानिस्तान में रहनेवाले पंडितों से सम्पर्क स्थापित किया था
और उसके मंत्री अल्जैहनि ने भारतीय संस्कृति का प्रचार इस्लामी देशों में किया था। राजा का नाम समनोडेस (Samanides) श्रमगादास का अपभ्रंश प्रतीत होता है। संभव है, यह राजा जैन अथवा बौद्ध पंडिनों का शिष्य रहा होगा। सारांशतः भ० महावीर के समय से ईवी आठवीं शतालिद तक जैनधर्म गान्धार, वइली यवन, कपिस आदि देशों में प्रचलित रहा। यह मभी देश पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त से अफगानिस्तान तक फैले हुए थे। तक्षशिना तो रावलपिंडी से कुछ दूरी पर ही अवस्थित थी।
सन १६२२ में फ्रञ्च विद्वान डा० फौशेर ने अफगानिस्तान के पुरातत्व की खोज की थी, जिसमें उनको बौद्धधर्म की बढ़त-सी प्राचीन कीर्तियाँ मिली थीं। उनमें से कई का सम्बन्ध लोगों ने इस्लाम से जोड़ रखवा था। उनमें से बहुत-सी कलामय वस्तु वह फ्रान्म ले गये थे। उनके पश्चात और भी कई फ्रेञ्च विद्वानों ने खोज की थी। उनको अनेक गुफामंदिर, मूर्तियाँ, स्तर और स्तम्भ मिले थे। उन सबको वे बौद्ध बनाते हैं - वे प्रायः हैं भी बौद्ध; किन्तु गुफामंदिर और स्तूप एवं स्तम्भ जैन भी हो सकते हैं। जबकि जैनधर्म वहाँ पर प्रचलित था तब यह संभव नहीं कि उनके धर्मायनन वहाँ न हों। खोज करने की आवश्यकता है। कावुल में "मीनार चकरी" {Pillar of wheel) नामक स्तम्भ की आकृति और बनावट ठीक वैसी ही है जैसी कि दक्षिणभारत के जैन मंदिरों में बने हुए स्तम्भों की होती है। बमियान नामक स्थान पर गुफामंदिर और बुद्ध की विशालकाय मूर्तियाँ मिली हैं।
इस प्रकार उपयुक्त ऐतिहासिक उल्लेखों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि अफगानिस्तान में कभी भी जैनधर्म का प्रचार नहीं हुआ था। मौयों के समय में वहाँ जैनधर्म खूब प्रचलित था। अरब___ अफगानिस्तान की तरह ही अरब के विषय में भी हमें ऐसे उल्लेख मिलते हैं, जिससे मानना पड़ता है कि अरब में भी जैनधर्म का प्रचार था। ___ अरब प्रायद्वीप दक्षिण-पश्चिम एशिया में अक्षांश ३४.३०' एवं १२.१५'३० ओर अवस्थित है। इसके पश्चिम में लोहितसागर, दक्षिण में अदन की खाड़ी तथा भरतसागर, पूर्व में प्रोमन तथा ईरान की खाड़ी और उत्तर में सीरिया की मरुभूमि है। इसका क्षेत्रफल बारह लाख वर्गमील है। अरब शब्द हिब्रू भाषा का है, १ मॉडर्न रिव्य , फरवरी १९२७, पृ० १३३