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किरण १]
मुनिशाभ्युदय - ऐतिहासिक काव्य
समय रामचन्द्रजी यहाँ २५ दिन तक रहे, उसी समय यह गोम्मटस्वामी की मूर्ति यहाँ स्थापित हुई। इस मूर्ति की ऊँचाई २७ फीट बतायी जाती है। सम्राट् मारसिंह, सम्राट् इन्द्र, सम्राट् राजमल्ल, वीरवर चामुण्डराय, दण्डाधिप गंगराज, मन्त्रिप्रवर हुल्ल आदि नरपुंगत्रों का सम्बन्ध श्रवणबेलगोल से रहा है। इस प्रकार इस काव्य ग्रन्थ गोल का इतिहास दिया है। कवि ने अपने समय से पूर्व की बातों को जनश्रुति के आधार पर न लिखकर ऐतिहासिक तथ्यों के साथ समन्वय करते हुए लिखा है। काव्यात्मक वर्णन में इतिहास की गन्ध सर्वत्र वर्तमान है । उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक और अतिशयोक्तियों के रहते हुए भी ऐतिहासिक व्यञ्जना तिरोहित या धूमिल नहीं होने पायी है । इस रचना की सबसे बड़ी विशेषता तथ्यनिरूपण की सरसता है। रस और भाव को अक्षुण्ण रखते हुए भी तथ्य प्रतिपादन में कमी नहीं आने पायी है।
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