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भास्कर
[भाग १७
निर्वाण लाभ किया है। सम्प्रति ने इन निर्वाण स्थानों पर तथा अपने जन्म स्थान भा-विराट एवं अपने कुटुम्बियों के समाधिस्थानों पर शिनाने व खुदवाये हैं। इसने अपना प्रिय चिन्ह हाथी प्रत्येक शिलालेख में अछूत कराया है। हाथी के प्रिय होने का कारण यह है कि प्रत्येक तीर्थकर की माता के सोलह सप्नों में श्वेत हाथी प्रथम म्यान है। जैनग्रन्थों में यह भी बताया गया है कि सम्प्रति के जन्म के पूर्व इसकी माता ने भी श्वेत हाथी का स्वप्न देखा था, अतः इसे हाथी का चिन्ह अयन्त प्रिय रहा । अशोक के नाम से प्रचलित चौदह शिलालेग्य समा त के ही है। वर्णन निम्न प्रकार है।
१-कालसी ( शिलालेख, हार्थी खुदा हुआ है !-श्रादिनाय ऋषभ नाथ) तार्थ कर का मोक्ष स्थान अष्टापद पर्वत बताया है। प्राचीन काल का प्रयापद तो देवों ने नष्ट कर दिया है। सम्राट प्रियदर्शिन के समय में कालमी ही अष्टापद माना जाता था; अतएव इसकी तलहटी में शिलालेख सम्राट प्रियदर्शिन ने खुदवाय।।
-जूनागढ़ गिरनार जो. शिलालेग्य अर हाथः उत्करिणत है )-वाईसवें तीर्थकर नेमिनाथ का मोक्ष स्थान गिरनार पर्वत बताया गया है। प्राचीन पर्वत की तलहटी धीरे-धीरे हटकर वर्तमान गिरनार पर्वत के स्थान पर पहुंच गया है। सम्राट प्रिय. दर्शिन के समय यह तलहटी उसी स्थान पर थी. जिस पर या शिलालेख मङ्किन है। हमारे इस कथन का पुष्टि मुदर्शन तालाव की प्रशम्नि से भी होता है। इसमें बनाया गया है कि यह तालाब गिरनार पवत क तलहटा में बनवाया गया था। परन्तु अाज यह गिरनार से दूर पड़ता है ।
धौली : (शिलालेग्य, स्थल हाथ अधिन है । -नागम में बीस तीथंकरों की निर्वाण भूमि श्री सम्मेदशियर पाश्वनाथ हिल ) को माना गया है। मम्राट प्रिय-- यह स्थान मयुक्त प्रदेश
र लगन दाता की र जमुना और टीम के संगम पर है। यी कमान को निन्य है।
-गिरनार जी की तली में मुदश नामक नाना है. हर मामी राना लेव का पट न साहब ने अनुवाद करा . हे समाना की पसनद नाना समय में विणुगुप्त ने बनवाया था। इसके पश्चमके का दायले मनट प्रयकर समय में तुम नामक सत्त धी ने पहली बार नुधारवादी या पधनमा यार उनका निक दर्शिन के समय में दुःया। दम कथन में चन्द्रगुन. अगाक पीन इन तानी शासकी के नाम आये हैं। या अगोक अर प्रियदर्शिन ये दमन कि है। पनि मनात ही था, जैनागम में इम नाम में इसका उलय किया गया है।
--जैनमिद्धल भास्कर भाग १६ का पृ.१५, मापनगर के मा. पाका शिलालेग्ब पृ. २०
३-यह स्थ न ग्रानकन वर्गनिने में नशा से मामलनचली नाम गाव के पास अश्वत्थामा पहाड़ी के नाम में प्रसिद्ध है। एक. म १२ । प्रशारम खुदे है। हाथी