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भास्कर
[ भाग १७
के मृत्यु स्थान हैं । सम्राट् विन्दुसार का ज्येष्ठ पुत्र पंजाब के विद्रोह को शान्त करने गया था। उपद्रवकारियों ने शाहबाज गढ़ी में इसकी हत्या कर दी थी। सम्राट् सम्प्रति ने इसी कारण शाहवाज गढ़ी में शिलालेख अङ्कित कराया। मानसेरा सम्राट् अशोक के छोटे भाई का मृत्यु स्थान है, वह भी किसी उपद्रव को शान्त करने गया था । ८— भाब्रू' • विराट् -- यह राजा प्रियदर्शिन का जन्म स्थान है । प्रेम से प्रेरित होकर प्रियदर्शिन ने इस स्थान पर शिलालेख अङ्कित कराया था । ६- सासाराम' - यह सम्राट् अशोक का मृत्यु स्थान है । यहाँ पर पाषाण खण्डों पर शिलालेख अति कराया गया है इस लेख में वीरनिर्वाण संवत् २५६ दिया गया
जन्मस्थान के
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है तथा इस समय प्रियदर्शिन की अवस्था ३२ || वर्ष की बतायी गयी है । १० - मास्कि'- महाराज अशाक के भाई तिष्य और कुमार कुणाल के समान अवन्ति में रहनेवाले माधवसिंह का यह मरण स्थान है । लेख अंकित कराया है।
इसी कारण यहाँ पर शिला
११, १२, १३ – सिद्ध" चन्द्रगुप्त, भद्रबाहु स्वामी और कान्त इन स्थानों में लेख अंकित कराये हैं।
गिरि, ब्रह्मगिरि और चित्तल दुर्ग - महाराज मुनिराज के समाधि मरणों की स्मृति के लिये यहाँ उन तीनों की मूर्तियाँ भी वर्तमान हैं ।
१४ सोपारा - इस स्थान पर भी किसी मुनि की समाधि हुई है । यहाँ पर चन्द्रगुप्त के साथ में विहार करनेवाले क्षेमंकर नामक मुनि के समाधि ग्रहण करने का उल्लेख भी मिलता है, अतः इस स्थान पर प्रियदर्शिन ने शिलालेख अंकित कराया था ।
सम्राट प्रियदर्शिन ने जनता में धर्म प्रचार के लिये शिलालेखों के अतिरिक्त स्तम्भ और स्तूप भी स्थापित किये तथा स्तम्भों के उपर सिंह की मूर्ति अंकित कर स्तम्भलेख उत्कीर्ण कराये। जिस प्रकार इसने पर्वतों की शिलाओं पर शिलालेखों के लिये
१ - यह स्थान जयपुर राज्य में है। जिस पत्थर पर यह शिलालेख उत्कीर्ण है, वह श्राजकल कलकत्ते की बंगाल एशियाटिक सोसाइटी के भवन में प्रिंसेप की मूर्ति के सामने सुरक्षित है ।
२- बिहार के शाहाबाद जिले में है । .
१३- यह स्थान निजाम राज्य के रायचूर जिले में है ।
४ - यह स्थान उत्तर मैसूर के चितलदुर्ग जिले में है ।
५ - उत्तर मैसूर के चितलदुर्ग जिले में यह श्राजकल है । ६ - यह मैसूर राज्य में है ।
७- यह बम्बई के पास थाना जिले में है ।