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किरण १]
रूप और कर्म-एक तुलनात्मक वैज्ञानिक विवेचन
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परिवर्तन होकर उसके गुण, प्रभाव, रूप, प्रकृति (properties, characterietics and nature) सथ में परिवर्तन हो जाता है और वस्तु बदल कर दूसरी वस्तु हो जाती है। यह बात, स्थिति और क्रम अाधुनिक रसायन विज्ञान (chemistry) द्वारा पूर्णरूप से सिद्ध, स्थापित एवं दिग्दर्शित हो चुकी है एवं रोज ही व्यवहार तथा क्रिया-प्रक्रियाओं में देखने में श्रानो है।
हर एक क्रिस्टल के रूप, गुण वगैरह उनकी वर्गणाओं की बनावट के ऊपर ही निर्भर करते हैं। क्रिस्टल ही क्यों, संसार की सारी वस्तुओं के रूप और गुणादिक की विभिन्नता का कारण भी उनकी बनानेवाले मौलीक्यूलों-वर्गणायों की बनावट की विभिन्नता ही है। संसार में जितने प्रकार, किस्म या तरह की वस्तुएँ हैं उतनी ही संग्या वर्गणाओं के प्रकारों की भी हैं। ये असंख्य, अनगणित और अनंत हैं।
किनी भी जीव का शरीर अनंत प्रकार की वर्गणाओं की अनंतानंत संख्याओं का सम्मिलित संगठन या समुदाग या संघ है। मानव का शरीर तो मबसे अधिक विचित्र होने से इसको बनाने वाली "वर्गणा” (classified molecules) की विविधता सबसे अधिक और संख्यातीत है । किमी वस्तु को ग्रान्तरिक बनावट के ऊपर ही उसका रूप, गुण और चाल चलन निर्भर रहता है । मनुष्य शरीर के लिए भी यह बात उतनी ही दृढ़ता एवं सत्पता के साथ लगू है जितनी कि किसी दूमरी बेजान बन्तु (chemical substance) के माथ। बिजली के यन्त्रों का जिक्र कार किया गया है। स्टील या भाप से चलने वाले यन्त्रों और मशीनों के साथ भी यही बात है। यदि किमी पानी से भरे घड़े में एक लंटा छेद किया जाय तो पानी पतली धार में एक छेद से ही निकलेगा। छेद यदि बड़ा कर दिया जाय तो धार मोटी हो जायगी और यदि कई छेद कर दिए जायं तो उनके अनुसार ही मोटी पतनी पानी की धाराएं उतनी ही संख्या में निकलेंगी। किसी छेद में ऐसी "टोटी' लगादें जिससे टेढ़ी या दूर तक जाने वाली या किसी भी दूसरी तरह की धारा जैसी चाहे निकलती हो तो यह उस टोटो की बनावट और घड़े में युक्त करने के तरीके के ऊपर निर्भर करती है, इत्यादि । यदि एक मनुष्य को किसी जानवर की खाल में इस तरह बन्द कर दिया जाय कि उसके हाथ पैर खाल के हाथ पैर की जगहों में हों तो उस मनुष्य की चालअपनी न रह कर उस जानवर की चाल की ही समानता करेगी, जिसकी खाल होगी। एक बैल का शरीर ऐमा है कि सजीव होने पर वह एक खास तरह के ही कर्म कर सकता है, दूसरे तरह के नहीं। यही बात दूसरे जानवरों या जीवों के साथ भी है। एक पक्षी के पंख यदि कमजोर हैं तो वह अधिक नहीं उड़ सकता है। जिस व्यक्ति की बाहें मजबूत होंगी वह अधिक बोझ उठा सकता है बनिस्बत उस मनुष्य के जिसकी बाहें कमजोर होंगी। मनुष्य की हरएक शारीरिक क्रिया उसके अवयवों की बनावट के उपर ही निर्भर करती है। जिस अवयव या अंग या भाग का जैसा संगठन होगा उस अवयव द्वारा उसी अनुसार कार्य होगा। एक लंगड़े से किसी शुद्ध पैर वाले के समान