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किरण १]
श्रद्धाञ्जलियाँ
किया, जैन सिद्धान्त भास्कर का उदय भी उन्हीं की स्मृति में हुआ है । भा० दि० जैन महासभा के कुण्डलपुर अधिवेशन के अध्यक्ष पद से उन्होंने अपनी मूरुकार्य क्षमता का परिचय दिया। उनके पदचिन्हों के अनुसरण स्वरूप आज आरा में जेन महिलाओं की आदर्श शिक्षा संस्था 'श्री जैन-बालाविश्राम, प्रगति पथ पर चल रही है । श्रीमती विदुषो ब्र० चन्दाबाई जी आपके ही घर की आदर्श महिला हैं । जैन समाज के दुर्भाग्य से बाबूजी समय में स्वर्गारोहण कर गये अन्यथा वे समाज हितके अनेक असा - धारण कार्यं करते । उनका व्यक्तित्व युगनिर्मापक मूकसेवक, ठोस कार्यकर्त्ता के रूप में था ।
अजितकुमार जैन, शास्त्री दिल्ली ।
नररत्न
बाबू देवकुमारजी अपने समय के एक चमकते हुए उज्ज्वल नर रत्न थ। उन्होंने उस समय जैन साहित्य और जैन पुरातन्त्र को प्रकाश में लाने का अनोखा प्रयत्न किया, जबकि समाज इस ओर सर्वथा सुप्र था और उसके महत्व को जानता नहीं था । किन्तु बाबूजी एक दूरद्रष्टा युगपुरुष थे, जिन्होंने इस विषय में सर्व प्रथम उसके महत्व को जाना और अपने सम्पूर्ण प्रयत्नों से समाज का इस ओर ध्यान आकर्षित किया। जैन सिद्धान्तों को प्रचारित करने के लिये अथक प्रयत्न किया । प्राचीन शास्त्रों के संग्रह का उनका प्रम आज हमारे लिये पथ-प्रदर्शन का काम करता है । यदि वे समय में ही न चले जाते तो उनसे धर्म व समाज का बड़ी सेवा होती फिर भी वे अपने पीछे जो जैन सिद्धान्त-भवन के रूप में हमें एक अद्वितीय स्मारक दे गये हैं वह और उनके साथ उनका यश सहस्रों वर्षों तक स्थायी रहे, यही मेरी उनके प्रति श्रद्धांजलि है ।
दरबारीलाल, न्यायाचार्य मुख्याध्यापक, श्री समन्तभद्र विद्यालय, देहली
सहज देवत्व की प्रतिमूर्ति -
'वृत्तानि सन्तु सततं जनताहिताय' इस बाबू देवकुमारजी में था । वस्तुतः आप सहज कार्यों को जितनी दक्षता और तन्मयता के
आदर्श भावना का सुन्दर समन्वय देवत्व की प्रतिमूर्ति थे । सावर्जनीन साथ आपने निष्पन्न किया था, उतनी