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समर्पण
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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद कालेज को वैभव के उच्चशिखर पर आसीन करने में जिन महान् विभूतियों ने अपना जीवन लगा दिया और आसेतु हिमाचल आधुनिक आयुर्वेद से ओतप्रोत आयुर्वेदज्ञों की एक ऐसी शृङ्खला खड़ी कर दी जो उनके आशीर्वाद का सम्बल पाकर तिमिराच्छन्न जगत् में पूर्ण आयुर्वेदीय दीप का प्रकाश फैलाने में सर्वथा समर्थ सिद्ध हो रही है।
उन परम श्रद्धय
गुरुदेव श्री डा० मुकुन्दस्वरूप वर्मा प्रिन्सिपल आयुर्वेद कालेज तथा सुपरिण्टेण्डेण्ट सर सुन्दरलाल चिकित्सालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को जिन्होंने हिन्दी माध्यम द्वारा आधुनिक चिकित्सा शास्त्र सम्बन्धी अन्य रचना एवं व्याख्यान परम्परा द्वारा ही मार्ग दर्शन नहीं किया अपि तु एक स्निग्ध मृदुल अन्तस्तल की ऐसी दिव्य झोंकी भी कराई है जो युगानुयुग तक प्रेम विकल सेवकों और शिष्यों को तड़पाती रहेगी तथा
___ उन परम श्रद्धय
गुरुदेव श्री डा० भास्करगोविन्द घाणेकर प्रोफेसर आयुर्वेद कालेज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को जिनका सारा जीवन ही मानों एक पाव्यग्रन्थ बन गया है जिसे पढ़ कर आदर्श हिन्दू जीवन की कल्पना मूर्तिमती हो उठती है तथा जिन्होंने सुप्रसिद्ध सुश्रुत संहिता की आयुर्वेदीय रहस्य दीपिका नामक ऐसी टीका भी प्रदान की है जो काल की छाती पर पैर रख कर अपनी छाप से विद्वजनों की भ्रान्ति
का अनन्त काल तक निवारण करती रहेगी। उन्हीं के ही द्वारा प्रदत्त ज्ञान राशि के कुछ कणों को अभिनव विकृति विज्ञान नामक उन्हीं के इस ग्रन्थ में सश्चित कर पाया हूँ जिसे उन्हीं के चरणों में विदाई की स्मृति के रूप में सादर समर्पित करता हूँ।
रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी ३ वि० भ०
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