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[ २२ ] इस ग्रन्थ के प्रकाशक चौखम्बा संस्कृत पुस्तकालय एवं चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी के अध्यक्ष श्री जयकृष्णदासजी गुप्त के प्रति धन्यवाद प्रकट करता हूँ, जिन्होंने समय-समय पर उत्साह वर्द्धन कर इस इतने बड़े ग्रन्थ को सहस्रों रुपये व्यय करके प्रकाशित किया है। व्याकरणाचार्य श्री पं० रामचन्द्रजी झा, जिन्होंने अनवरत मानसिक एवं शारीरिक श्रमपूर्वक बहुत कष्ट उठाकर इस ग्रन्थ के प्रकाशन में सहायता की है, भी धन्यवाद के पात्र हैं।
इतने बड़े ग्रन्थ के निर्माण में अनेक प्रकार की त्रुटियाँ रहना स्वाभाविक हैं। मेरा विश्वास है कि सहृदय पाठक उन्हें सुधार लेंगे तथा जहाँ जैसे सुधार की आवश्यकता होगी, मुझे सूचित कर अनुगृहीत करेंगे ताकि आगे के संस्करणों में मैं उनका उपयोग साभार कर सकूँ। जो तिल में ताड़ देखने के अभ्यासी हैं उनसे मुझे कुछ कहना नहीं है । इत्यलम् ॥
वसन्तपञ्चमी सं० २०१३ ५-२-१९५७
-रघुवीरप्रसाद त्रिवेदी
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