Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३] छक्खंडागमे खुदाबंधो
[ २, १, ११. कालं होदि ? सरीरंगहिदपढमसमयमादि कादूण जाव सरीरपज्जत्तीए अणिल्लेविदचरिमसमओ ति, अंतोमुहुत्तमिदि वुत्तं होदिं। भंगा वि पुबिल्लभंगेण सह दोण्णि | २ ||
. परघादमप्पसत्थविहायगदिं च पुबिल्लपणुवीसपयडीसु पक्खित्ते सत्तावीसपयडीणमुदयट्ठाणं होदि । तं कम्हि होदि ? सरीरपजत्तीणिव्वत्तिपढमसमयमादि कादण जाव आणापाणपज्जत्तिअणिल्लेविदचरिमसमओ ति एदम्हि काले होदि । तं केवचिरं? जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । एत्थ भंगसमासो तिण्णि |३||
पुव्विल्लसत्तावीसपयडीसु उस्सासे पक्खित्ते अट्ठावीसपयडीणमुदयट्ठाणं होदि । तं कम्हि होदि ? आणापाणपज्जत्तीए पज्जत्तयदपढमसमयमादि कादूण जाव भासापज्जत्तीए अणिल्लेविदचरिमसमओ त्ति एदम्हि द्वाणे होदि । तं केवचिरं ? जहण्णुक्क
समाधान-शरीर ग्रहण करनेके प्रथम समयको आदि लेकर शरीरपर्याप्ति अपूर्ण रहनेके अन्तिम समय पर्यंत अर्थात् अन्तर्मुहूर्तकाल तक यह उदयस्थान रहता है।
पूर्वोक्त एक भंगके साथ अब दो भंग हो गये (२)।
पूर्वोक्त पञ्चीस प्रकृतियोंमें परघात तथा अप्रशस्तविहायोगति मिला देनेसे सत्ताईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है।
शंका-यह सत्ताईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान किस कालमें होता है ?
समाधान-शरीरपर्याप्ति पूर्ण होजानेके प्रथम समयको आदि लेकर आनप्राणपर्याप्ति अपूर्ण रहने के अन्तिम समय पर्यन्त इतने काल तक यह सत्ताईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है।
शंका-यह काल कितने प्रमाण होता है ? समाधान-जघन्यतः और उत्कर्षतः अन्तर्मुहूर्तमात्र। यहां तकके सब भंगोंका जोड़ हुआ तीन (३)।
पूर्वोक्त सत्ताईस प्रकृतियोंमें उच्छ्वासको मिला देनेसे अट्ठाईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है।
शंका-यह अट्ठाईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान किस कालमें होता है ?
समाधान-आनप्राणपर्याप्तिके पूर्ण होजानेके प्रथम समयको आदि लेकर भाषापर्याप्ति अपूर्ण रहनेके अन्तिम समय तकके कालमें होता है ?
शंका-वह काल कितने प्रमाण है ? समाधान-जघन्य और उत्कर्षतः अन्तर्मुहूर्तमात्र ।
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