Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२, १, ११.] सामित्ताणुगमे उदयट्ठाणपरूवणा स्सेण अंतोमुहुत्तं । एत्थ भंगसमासो चत्तारि |४||
पुविल्लअट्ठावीसपयडीसु दुस्सरे पक्खित्ते एगूणत्तीसपयडीणमुदयद्वाणं होदि । तं कम्हि ? भासापज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स पढमसमयमादि कादण जाव अप्पप्पणो आउअद्विदीए चरिमसमओ ति एदम्हि अद्धाणे होदि । तं केवचिरं ? जहण्णेण दसवस्ससहस्साणि अंतोमुहुत्तूणाणि, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तूणतेत्तीससागरोवमाणि । एत्थ भंगसमासो पंच |५||
तिरिक्खगदीए एकवीस-चदुवीस-पंचवीस-छव्वीस-सत्तावीस-अट्ठावीस-एगणचीस-तीस-एक्कत्तीस त्ति णव उदयट्ठाणाणि । २१।२४ । २५।२६ ॥ २७॥ २८ ॥ २९ ३० । ३१ । संपदि सामण्णेण एइंदियाणं एक्कवीस-चउवीस-पंचवीस-छब्बीस-सत्तावीस त्ति पंच उदयट्ठाणाणि । आदावुज्जोवाणमणुदएण एइंदियस्स सत्तावीसट्टाणेण विणा चत्तारि उदयट्ठाणाणि । आदावुज्जोवाण उदएण सहिदएइंदियस्स पणुवीसट्ठाणेण विणा
यहां तकके सब भंगोंका जोड़ हुआ चार (४)।
पूर्वोक्त अट्ठाईस प्रकृतियों में दुस्वरको मिला देनेसे उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है।
शंका-वह उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान किस कालमें होता है?
समाधान-भाषापर्याप्ति पूर्ण करलेनेवालेके प्रथम समयको लेकर अपनी अपनी आयुस्थितिके अन्तिम समय पर्यन्त, इतने कालमें वह उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है।
शंका-वह कितने काल प्रमाण है ?
समाधान-जधन्यतः अन्तर्मुहूर्त कम दश हजार वर्ष और उत्कर्षतः अन्तर्मुहूर्त कम तेतीस सागरोपमप्रमाण होता है।
यहां तक सब भंगोंका योग हुआ पांच (५)।
तिर्यंचगतिमें इक्कीस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अढाईस उनतीस, तीस और इकतीस, ये नौ उदयस्थान होते हैं । २१।२४।२५।२६।२७।२८।२९।३०।३१। • अब सामान्यतः एकेन्द्रिय जीवोंके इक्कीस, चौवीस, पच्चीस, छब्बीस और सत्ताईस,ये पांच उदयस्थान है । आताप और उद्योत इन दो प्रकृतियोंके उदयके विना एकेन्द्रिय जीवके सत्ताईस प्रकृतियोंवाले स्थानसे रहित शेष चार उदयस्थान होते हैं। आताप और उद्योतके उदय सहित एकेन्द्रिय जीवके पच्चीस प्रकृतियोंवाले स्थानसे रहित शेष चार उदयस्थान
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