Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२, ११, १७. ]
अपात्रहुगागमे कायमग्गणा
सुहुमतेउकाइयपज्जता संखेज्जगुणा ॥ ९४ ॥ एत्थ गुणगारो तप्पा ओग्गसंखेज्जसमया ।
सुहुमपुढविकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९५ ॥ विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा सुहुमते उकाइय पज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । पडिभागो असंखेज्जा लोगा ।
सुहुमआउकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९६॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा सुहुम पुढविकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ! असंखेज्जा लोगा ।
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सुहुमवाउकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९७ ॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा सुहुमआउकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा ।
सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त जीव संख्यातगुणे हैं ॥ ९४ ॥
यहां गुणकार तत्प्रायोग्य संख्यात समय है ।
सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९५ ॥
विशेषका प्रमाण सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त जीवों के असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है | प्रतिभाग असंख्यात लोक है ।
सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म अष्कायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९६ ॥
विशेषका प्रमाण सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है ।
सूक्ष्म अष्कायिक पर्याप्तोंसे सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं
॥ ९७ ॥
विशेषका प्रमाण सूक्ष्म अष्कायिक पर्याप्त जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है ।
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