Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, ११, १२६. कम्मइयकायजोगी अणंतगुणा ॥ १२६ ॥
को गुणगारो ? अभवसिद्धिएहिंतो सिद्धेहिंतो सधजीवाणं पढमवग्गमलादो वि अणंतगुणो | कुदो ? अंतोमुहुत्तगुणिदअजोगिरासिपमाणेणोवट्टिदसव्यजीवरासिमेत्तत्तादो ।
ओरालियमिस्सकायजोगी असंखेज्जगुणा ॥ १२७ ॥ को गुणगारो ? अंतोमुहुत्तं ।
ओरालियकायजोगी संखेज्जगुणा ॥ १२८ ॥ सुगमं । कायजोगी विसेसाहिया ॥ १२९ ॥ केत्तियमेत्तो विसेसो ? सेसकायजोगिमेत्तो । वेदाणुवादेण सव्वत्थोवा पुरिसवेदा ॥ १३०॥ कुदो ? संखेज्जपदरंगुलोवाट्टिदजगपदरप्पमाणत्तादो। इथिवेदा संखेज्जगुणा ॥ १३१ ॥
अयोगियोंसे कार्मणकाययोगी अनन्तगुणे हैं ॥ १२६ ॥
गुणकार कितना है ? अभव्यसिद्धिकों, सिद्धों और सर्व जीवोंके प्रथम वर्गमूलसे भी अनन्तगुणा है, क्योंकि, वह अन्तर्मुहूर्तसे गुणित अयोगिराशिप्रमाणसे अपवर्तित सर्व जीवराशि
कार्मणकाययोगियोंसे औदारिकमिश्रकाययोगी असंख्यातगुणे हैं ॥ १२७ ॥ गुणकार कितना है ? गुणकार अन्तर्मुहूर्तप्रमाण है । औदारिकमिश्रकाययोगियोंसे औदारिककाययोगी संख्यातगुणे हैं ॥ १२८ ॥ यह सूत्र सुगम है। औदारिककाययोगियोंसे काययोगी विशेष अधिक हैं ॥ १२९ ॥ विशेष कितना है ? शेष काययोगिप्रमाण है। वेदमार्गणाके अनुसार पुरुषवेदी सबमें स्तोक हैं ॥ १३०॥ क्योंकि, वे संख्यात प्रतरांगुलोंसे अपवर्तित जगप्रतरप्रमाण हैं । पुरुषवेदियोंसे स्त्रीवेदी संख्यातगुणे हैं ॥ १३१
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