Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, ११-२, ५९. को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिमद्धछेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो।
बादरणिगोदजीवा णिगोदपदिट्ठिदा अपज्जता असंखेज्जगुणा ॥ ५९॥
को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो।
बादरपुढविकाइयअपज्जता असंखेज्जगुणा ॥ ६० ॥ को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदि
भागो ।
बादरआउकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ६१ ॥
को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेअदिभागो।
बादरवाउकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ६२ ॥
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुण कार है । उनके अर्द्व व्छेद पल्योपमके भसंख्यातवें भागप्रमाण हैं।
बादर निगोदजीव निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५९॥
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं ।
बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुण हैं ।। ६० ।।
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं।
घादर अकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६१ ॥
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंण्यातवें भागप्रमाण हैं।
पादर वायुकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६२ ॥
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