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________________ ५९० छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, ११-२, ५९. को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिमद्धछेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। बादरणिगोदजीवा णिगोदपदिट्ठिदा अपज्जता असंखेज्जगुणा ॥ ५९॥ को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। बादरपुढविकाइयअपज्जता असंखेज्जगुणा ॥ ६० ॥ को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेज्जदि भागो । बादरआउकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ६१ ॥ को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखेअदिभागो। बादरवाउकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ६२ ॥ गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुण कार है । उनके अर्द्व व्छेद पल्योपमके भसंख्यातवें भागप्रमाण हैं। बादर निगोदजीव निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ५९॥ गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुण हैं ।। ६० ।। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। घादर अकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६१ ॥ गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंण्यातवें भागप्रमाण हैं। पादर वायुकायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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