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२, ११–२, ६५. ]
को गुणगारो ?
जदिभागो ।
अप्पा बहुगागमे महादंडओ
[ ५९१
असंखेज्जा लोगा । तेसिं छेदणाणि पलिदोवमस्स असंखे
सुहुमते उकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ६३ ॥
को गुगगारो ? असंखेज्जा लोगा । तेसिमछेदणाणि असंखेज्जा लोगा । कथं वदे ? गुरूवदेसादो |
सुहुम पुढविकाइया अपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ६४ ॥
केत्तिओ विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुमते उकाइय अपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा ।
सुहुमआउकाइयअपज्जत्ता' विसेसाहिया ॥ ६५ ॥
केचिओ विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुमपुढविकाइय अपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा ।
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं ।
सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ६३ ॥
गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । उनके अर्द्धच्छेद असंख्यात लोक प्रमाण हैं ।
शंका- -यह कैसे जाना जाता है ?
समाधान - यह गुरुके उपदेशसे जाना जाता है ।
सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ६४ ॥
विशेष कितना है ? असंख्यात लोक है जो कि सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तोंके असंख्यातवें भाग है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यातवां लोक प्रतिभाग है ।
सूक्ष्म अष्कायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ६५ ॥
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विशेष कितना है ? सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक विशेष है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है ।
१ अ-आप्रल्योः ' - पज्जता ' इति पाठः, काप्रतौ तु सूत्रमेतन्नास्त्येव ।
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