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________________ छक्खंडागमे खुद्दाबंधो सुहुमवा उकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ६६ ॥ केत्तियो विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुम आउकाइय अपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा । ५९२ ] सुहुमते उकाइयपज्जत्ता संखेज्जगुणां ॥ ६७ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । सुहुम पुढविकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ६८ ॥ केत्तियो बिसेस ? असं बेज्जा लोगा सुहुमते उकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा । सुहुम आउकाइया पज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ६९॥ केत्तिओ विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुमपुढविकाइय पज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा । I सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ६६ ॥ विशेष कितना है ? सूक्ष्म अष्कायिक अपर्याप्तोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक विशेष है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है । सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त जीव संख्यातगुणे हैं ॥ ६७ ॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है । सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ६८ ॥ [ २, ११- २, ६६. विशेष कितना है ? सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्तोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक विशेष है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है । सूक्ष्म अकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ।। ६९ ।। विशेष कितना है ? सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्तों के असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक विशेष है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभांग है । १ संखेज्ज सुहुमपज्जत तेउ किंचि (च) हिय भू-जल - समीरा । ततो असंखगुणिया सुहुमनिगोया अपज्जता ॥ पं. सं. २, ७४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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