Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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५७८]
' छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, ११-२, ७. __ किमहं देवविसेसणं ? तत्थतणपुढविकाइयादिपडिसेहढे । गुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो असंखेज्जाणि पलिदोवमपढमवग्गमूलाणि । कुदो ? बादरतेउकाइयपज्जत्तदव्वेण गुणिदतत्थतणअवहारकालेण ओवट्टिदपलिदोवमपमाणत्तादो।
अणुदिसविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ ७ ॥
को गुणगारो ? संखेज्जा समया । कुदो ? मणुस्सेहितो अणुत्तरेसुपज्जमाणजीवे पेक्खिदण तेहिंतो चेत्र अणुदिसविमाणवासियदेवेसुप्पज्जमाणाणं जीवाणं संखेज्जगुणाणमुवलंभादो, विस्ससादो वा ।
उवरिमउवरिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ ८॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । कारणं पुव्वं व परूवेदव्यं । उवरिममज्झिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥९॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया। कारणं सुगमं ।
शंका-यहां 'देव' विशेषण किस लिये है ?
समाधान-वहांके पृथिवीकायिकादि जीवोंके प्रतिषेधार्थ 'देव' विशेषण दिया गया है।
गुणकार पल्योपमके असंख्यातवें भाग असंख्यात पल्योपम प्रथम वर्गमूल है, क्योंकि, वह बादर तेजस्कायिक पर्याप्त द्रव्यसे गुणित वहांके अवहारकालसे अपवर्तित . पल्योपम प्रमाण है।
अनुदिशविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥ ७॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, मनुष्यों से अनुत्तरोंमें उत्पन्न होनेवाले जीवोंकी अपेक्षा उनमेंसे ही अनुदिशविमानवासी देवोंमें उत्पन्न होनेवाले जीव संख्यातगुणे पाये जाते हैं, अथवा विजयादि अनुत्तरविमानवासी देवोंसे अनुदिशविमानवासी देव स्वभावसे ही संख्यातगुणे हैं ।
उपरिम-उपरिमग्रेवेयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ।। ८॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है । कारण पूर्वके समान कहना चाहिये।
उपरिम-मध्यमग्रैवेयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ।। ९ ।। गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है। कारण सुगम है।
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