Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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५७ छक्खंडागमे खुदाबंधो
[२, ११, ५१. तेउक्काइयपज्जत्ता संखेज्जगुणा ॥ ५१ ॥ कुदो ? विस्ससादो । एत्थ तप्पाओग्गसंखेज्जरूवाणि गुणगारो । पुढविकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५२ ॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा तेउकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
आउकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५३॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा पुढविकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
वाउकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५४॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा आउकाइयपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
अकाइया अणंतगुणा ॥ ५५॥
वायुकायिक अपर्याप्तोंसे तेजस्कायिक पर्याप्त जीव संख्यातगुणे हैं ॥ ५१ ॥ क्योंकि, ऐसा स्वभावसे है। यहां तत्प्रायोग्य संख्यात रूप गुणकार है। तेजस्कायिक पर्याप्तोंसे पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥५२॥
विशेषका प्रमाण तेजस्कायिक पर्याप्त जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
पृथिवीकायिक पर्याप्तोंसे अप्कायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५३ ॥
विशेषका प्रमाण पृथिवीकायिक पर्याप्त. जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
अप्कायिक पर्याप्तोंसे वायुकायिक पर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५४ ॥
विशेषका प्रमाण अप्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
वायुकायिक पर्याप्तोंसे अकायिक जीव अनन्तगुणे हैं ॥ ५५ ।।
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