Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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५३८] छक्खंडागमे खुदाबंधो
[ २, ११, ६८. सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया ॥ ६८ ॥
एत्थ विसेसपमाणं असंखेज्जा लोगा सुहुमतेउकाइयाणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
सुहुमआउकाइया विसेमाहिया ॥ ६९ ॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा सुहुमपुढविकाइयाणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा ।
सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया ॥ ७० ॥
को विसेमो ? असंवेज्जा लोगा सुहमआउकाइयाणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
अकाइया अणंतगुणा ॥ ७१ ॥ एत्थ गुणगारो अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो । बादरवणप्फदिकाइया अणंतगुणा ॥ ७२ ॥
सूक्ष्म तेजस्कायिकोंम सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव विशप अधिक है ॥ ६८॥
यहां विशेषका प्रमाण सूक्ष्म तेजस्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण असंख्यात लोक है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
सूक्ष्म पृथिवीकायिकोंसे सूक्ष्म अकायिक जीव विशेष अधिक हैं ॥ ६९ ।।
यहां विशेषका प्रमाण सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण असंख्यात लोक है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
सूक्ष्म अप्कायिकोंसे मूक्ष्म वायुकायिक जीव विशेष अधिक हैं ॥ ७० ॥
विशेष कितना है ? सूक्ष्म अप्कायिक जीवॉक असंख्यातवें भाग असंख्यात लोकप्रमाण है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
सूक्ष्म वायुकायिकोंसे अकायिक जीव अनन्तगुण हैं ॥ ७१ ।। यहां गुणकार अभव्यसिद्धिक जीवोसे अनन्तगुणा है। अकायिक जीवोंसे बादर वनस्पतिकायिक जीव अनन्तगुणे हैं ॥ ७२ ॥
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