Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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६२) छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
(२, १, १५. उप्पण्णत्तादो । तस्स जीवपरिणामस्स एइंदियमिदि सण्णा । एदेण एक्केण इंदिएण जो जाणदि पस्सदि सेवदि जीवो सो एइंदिओ णाम ।
___ सव्वघादी-देसघादित्तं णाम किं ? वुच्चदे-दुविहाणि कम्माणि घादिकम्माणि अघादिकम्माणि चेव । णाणावरण-दंसणावरण-मोहणीय-अंतराइयाणि घादिकम्माणि वेदणीय-आउ-णाम-गोदाणि अघादिकम्माणि । णाणावरणादीणं कधं घादिववदेसो ? ण, केवलणाण-दसण-सम्मत्त-चरित्त-वीरियाणमणेयभेयभिण्णाणं जीवगुणाणं विरोहित्तणेण तेर्सि घादिववदेसादो । सेसकम्माणं घादिववदेसो किण्ण होदि ? ण, तेसिं जीवगुणविणासणसत्तीए अभावा । कुदो ? ण आउअंजीवगुणविणासयं, तस्स भवधारणम्मि वावारादो । ण गोदं जीवगुणविणासयं, तस्स णीचुच्चकुलसमुप्पायणम्मि वावारादो । ण खेतपोग्गलविवाइणामकम्माई पि, तेसिं खेत्तादिसु पडिबद्धाणमण्णत्थ वावारविरोहादो ।
परिणामकी एकेन्द्रिय संशा है ।
इस एक इन्द्रियके द्वारा जो जानता है, देखता है, सेवन करता है वह जीव एकेन्द्रिय होता है।
शंका-सर्वघातित्व और देशघातित्व किसे कहते हैं ?
समाधान-कहते हैं । कर्म दो प्रकारके हैं, घातिया कर्म और अघातिया कर्म । शानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अन्तराय, ये चार घातिया कर्म हैं। तथा वेदनीय, आयु, नाम और गोत्र, ये चार अघातिया कर्म हैं।
शंका-ज्ञानावरण आदिको घातिया कर्म क्यों नाम दिया है ?
समाधान-क्योंकि, केवल शान, केवलदर्शन, सम्यक्त्व, चारित्र और वीर्य अर्थात् आत्माकी शक्ति रूप जो अनेक भेदोंमें भिन्न जीवगुण हैं उनके उक्त कर्म विरोधी अर्थात् घातक होते हैं और इसीलिये वे घातिया कर्म कहलाते हैं।
शंका-(जीवगुणोंके विरोधक तो शेष कर्म भी होते हैं, अतएव )शेष कर्मीको भी घातिया कर्म क्यों नहीं कहते ?
समाधान-शेष कर्मोंको घातिया नहीं कहते, क्योंकि, उनमें जीवके गुणोंका विनाश करनेकी शक्ति नहीं पाई जाती । जैसे, आयु कर्म जीवके गुणोंका विनाशक नहीं है, क्योंकि, उसका काम तो भव धारण करानेका है । गोत्र भी जीवगुणविनाशक नहीं है, क्योंकि, उसका काम नीच और उच्च कुल उत्पन्न करना है । क्षेत्रविपाकी और पुद्गलविपाकी नामकर्म भी जविगुणविनाशक नहीं हैं, क्योंकि, उनका सम्बन्ध यथायोग्य क्षेत्र और पुद्गलोंसे होनेके कारण अन्यत्र उनका व्यापार माननेमें विरोध आता है।
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