Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, १०, ६७. कुदो ? अचक्खुदंसणीहि सवरासिम्हि भागे हिदे एगरूवस्स अणंतिमभागसहिदएगरूवावलंभादो।
लेस्साणुवादेण किण्हलेस्सिया सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ६७॥
सुगमं । तिभागो सादिरेगो ॥ ६८ ॥
कुदो ? किण्हलेस्सिएहि सव्यजीवरासिम्मि भागे हिदे किंचूणतिण्णिरूवोवलंभादो। ___णीललेस्सिया काउलेस्सिया सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ६९॥
सुगमं । तिभागो देसूणो ॥ ७० ॥
क्योंकि, अचक्षुदर्शनियों का सर्व जीवराशिमें भाग देनेपर एक रूपके अनंतवें भागसे सहित एक रूप उपलब्ध होता है।
लेश्यामार्गणाके अनुसार कृष्णलेश्यावाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण
यह सूत्र सुगम है। कृष्णलेश्यावाले जीव सब जीवोंके साधिक एक त्रिभागप्रमाण हैं ? ॥ ६८।।
क्योंकि, कृष्णलेश्यावाले जीवोंका सर्व जीवराशिमें भाग देनेपर कुछ कम तीन रूप उपलब्ध होते हैं।
नीललेश्यावाले और कापोतलेश्यावाले जीव सब जीवोंके कितनेवें भागप्रमाण है ? ॥ ६९ ॥
यह सूत्र सुगम है। नील और कापोतलेश्यावाले जीव सब जीवोंके कुछ कम एक त्रिभागप्रमाण
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