Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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७४ ] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२,.१, ३२. मिच्छत्तासंजम-कसायासवाणं पवाहाणादिसरूवेण समागदाणं वट्टमाणकाले वि कत्थ वि जीवे विणासदसणादो।
जोगाणुवादेण मणजोगी वचिजोगी कायजोगी णाम कधं भवदि ? ॥३२॥
किमोदइओ किं खओवसमिओ किं पारिणामिओ किं खइओ किमुवसमिओ ति ? ण ताव खइओ, संसारिजीवसु सबकम्माणं उदएण वट्टमाणेसु जोगाभावप्पसंगादो, सिद्धेसु सबकम्मोदयविरहिदेसु जोगस्स अस्थित्तप्पसंगादो च । ण पारिणामिओ, खइयम्मि वुत्तासेसदोसप्पसंगादो। णोवसमिओ, ओवसमियभावेण मुक्कमिच्छाइट्ठिगुणम्मि जोगाभावप्पसंगादो । ण घादिकम्मोदयसमुत्भूदो, केवलिम्हि खीणघादिकम्मोदए जोगाभावप्पसंगादो। णाघादिकम्मोदयसमुन्भूदो, अजोगिम्हि वि जोगस्य सत्तपसंगादो। ण घादिकम्माणं खओवसमजणिदो, केवलिम्हि जोगाभावप्पसंगा । णाघादिकम्मक्खओवसमजणिदो, तत्थ सव्व-देसघादिफद्दयाभावादो खओवसमाभावा । एद सव्वं
मिथ्यात्व, असंयम और कषाय रूप आनवोंका वर्तमान कालमें भी किसी किसी जीवमें विनाश देखा जाता है।
योगमार्गणानुसार जीव मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी कैसे होता है ? ॥ ३२॥
शंका-योग क्या औदयिक भाव है, कि क्षायोपशमिक, कि परिणामिक, कि क्षायिक, कि औपशमिक ? योग क्षायिक तो हो नहीं सकता, क्योंकि वैसा माननेसे तो सर्व कर्मोंके उदय सहित संसारी जीवोंके वर्तमान रहते हुए भी योगके अभावका प्रसंग आजायगा, तथा सर्व कर्मोदयसे रहित सिद्धोंके योगके अस्तित्वका प्रसंग आजायगा। योग पारिणामिक भी नहीं हो सकता, क्योंकि, ऐसा मानने पर भी क्षायिक मानने से उत्पन्न होनेवाले समस्त दोषोंका प्रसंग आजायगा। योग औपशमिक भी नहीं है, क्योंकि, औपशमिक भावसे रहित मिथ्यादृष्टि गुणस्थानमें योगके अभाव का प्रसंग आजायगा । योग घातिकर्मोंके उदयसे उत्पन्न भी नहीं है, क्योंकि, सयोगिकेवलीमें घातिकौका उदय क्षीण होनेके साथ ही योगके अभावका प्रसंग आजायगा अघातिकर्मीके उदयसे उत्पन्न भी नहीं है, क्योंकि, वैसा माननेसे अयोगिकेवलीमें भी योगकी सत्ताका प्रसंग आजायगा। योग घातिकर्मों के क्षयोपशमसे उत्पन्न भी नहीं है, क्योंकि, इससे भी सयोगिकेवलीमें योगके अभावका प्रसंग आजायगा। योग अघातिकौके क्षयोपशमसे उत्पन्न भी नहीं है, क्योंकि, अघातिकर्मों में सर्वघाती और देशघाती दोनों प्रकारके स्पर्धकोंका अभाव होनेसे क्षयोपशमका भी अभाव है। यह सब मनमें
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