Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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९२) छक्खंडागमे खुदाबंधो
. [२,१, ४९. उवसमियाए खइयाए खओवसमियाए लद्धीए ॥४९॥
संजमस्स ताव उच्चदे- चरित्तावरणस्स सव्योवसमेण उवसंतकसायम्मि संजमो होदि त्ति उवसमियाए लद्धीए संजमस्सुप्पत्ती उत्ता। कधं तस्स खइया लद्धी ? चरित्तावरणस्स खएण संजमुप्पत्तीदो । कथं खओवसभिया लद्धी ? चदुसंजलण-णवणोकसायाणं देसघादिफद्दयाणमुदएण संजमुप्पत्तीदो। कधमेदेसिं उदयस्स खओवसमक्वएसो ? सबधादिफद्दयाणि अणंतगुणहीणाणि होदूग देसघादिकद्दयत्तणेण परिणमिय उदयमागच्छंति, तेसिमगंतगुणहीणतं खओ णाम । देसघादिफद्दयसरूवेणवट्ठाणमुवसमो। तेहि खओवसमेहि संजुत्तोदओ खओवसमो णाम । तदो समुप्पण्णो संजमो वि तेण खओर
औपशमिक, क्षायिक और क्षायोपशामिक लब्धिसे जीव संयत व सामायिकछेदोपस्थान-शुद्धिसंयत होता है ।। ४९ ॥
पहले संयमका वर्णन करते हैं -- चारित्रावरण कर्मके सर्वोपशमसे जिस जीवकी कषायें उपशान्त हो गई हैं उसके संयम होता है। इस प्रकार औपशमिक लब्धिसे संयमकी उत्पत्ति कही।
शंका - संयतके क्षायिक लब्धि कैसे होती है ?
समाधान-चूंकि चारित्रावरण कर्मके क्षयसे भी संयमकी उत्पत्ति होती है, इससे क्षायिक लब्धि द्वारा जीव संयत होता है।
शंका--संयतके क्षायोपशमिक लब्धि किस प्रकार होती है ?
समाधान-चारों संज्वलन कषायों और नौ नोकषायोंके देशघाती स्पर्धकोंके उदयसे संयमकी उत्पत्ति होती है, इस प्रकार संयतके क्षायोपशमिक लब्धि पायी जाती है।
शंका-नोकषायोंके देशघाती स्पर्धकोंके उदयको क्षयोपशम नाम क्यों दिया गया?
समाधान-सर्वघाती स्पर्धक अनन्तगुणे हीन होकर और देशघाती स्पर्धोंमें परिणत होकर उदयमें आते हैं। उन सर्वघाती स्पर्धकोंका अनन्तगुणहीनत्व ही क्षय कहलाता है और उनका देशघाती स्पर्धकोंके रूपसे अवस्थान होना उपशम है। उन्हों क्षय और उपशमसे संयुक्त उदय क्षयोपशम कहलाता है। उसी क्षयोपशमसे उत्पन्न
१ प्रतिषु 'खओबसमोहि संजुत्तादओ' इति पाठः।
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