Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४२] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, १, ११. तीसाए हाणं भवदि । एत्थ वि भंगा दो चेव |२।। भासापज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स पुव्वुत्तपयडीसु दुस्सरे पक्खित्ते तीसाए हाणं होदि । एत्थ भंगा दो चेव | २ ||
___ संपदि उज्जोवुदयसंजुत्तबेइंदियस्स भण्णमाणे एक्कवीस-छब्बीसाओ जधा पुव्वं वुत्ताओ तधा वत्तव्यं । पुणो छब्बीसाए उवरि परघादुज्जोव-अप्पसत्थविहायगदीसु पक्खित्तासु एगुणतीसाए द्वाणं होदि । जसकित्तिउदएण एक्को भंगो, अजसकित्तिउदएण एक्को । एत्थ भंगसमासो दोण्णि | २ ।। पुणो एदेसु दोसु पढमेगूणत्तीसभंगेसु पक्खित्तेसु चत्तारि भंगा होति । आणापाणपज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स उस्सासे पक्खित्ते तीसाए हाणं होदि । एत्थ वि भंगा दो चेव । एदेसु पढमतीसभंगेसु पक्खित्तेसु चत्तारि भंगा होति । भासापज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स दुस्सरे पक्खित्ते एक्कतीसाए द्वाणं होदि । एत्थ भंगा दोणि । सब्वभंगसमासो अट्ठारस । तिण्हं विगलिंदियाणं भंग
उच्छ्वास मिला देनेसे उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है। यहां भी भग दो ही हैं (२)।
भाषापर्याप्तिको पूर्ण करलेनेवाले द्वीन्द्रिय जीवके पूर्वोक्त उनतीस प्रकृतियोंमें दुस्वर मिला देनेसे तीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है। यहां भी भंग दो ही हैं (२)।
अब उद्योतके उदय सहित द्वीन्द्रिय जीवके उदयस्थान कहे जाते हैं-- इनके इक्कीस और छव्वीस प्रकृतियोंवाले उदयस्थान तो जैसे ऊपर कह आये हैं उसी प्रकार कहना चाहिये। फिर छव्वीसके ऊपर परघात. उद्योत और अप्रशस्तविहायोगति, इन तीनको मिला देनेपर उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है । यशकीर्तिके उदय सहित एक भंग होता है और अयशकीर्तिके उदय सहित एक । इस प्रकार यहां भंगोंका योग हुआ दो (२)। फिर इन दो भंगों में पूर्वोक्त उनतीस प्रकृतियोंवाले उदयस्थान सम्बन्धी दो भंगोंको मिला देनेसे भंग हो जाते हैं चार (४)।
आनप्राणपर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले द्वीन्द्रिय जीवके पूर्वोक्त उनतीस प्रकृतियोंमें उच्छ्वास और मिला देनेपर तीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है । यहां भी भंग दो ही हैं (२)। इनमें प्रथम तीस प्रकृतियोंवाले उदयस्थान सम्बन्धी दो भंग मिला देनेसे चार भंग हो जाते हैं (४)।
__भाषापर्याप्तिको पूर्ण करलेनवाले द्वीन्द्रिय जीवके पूर्वोक्त तीस प्रकृतियोंमें दुस्वर मिला देनेसे इकतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है। यहां भंग होते हैं दो (२)।
सब विकल्पोंका योग हुआ अठारह (१८)।
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