Book Title: Shatkhandagama Pustak 07
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४०] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, १, ११. विगलिंदियाणं सामण्णेण एकवीस छब्बीस अट्ठावीस-एऊणत्तीस-तीस-एकत्तीस त्ति छ उदयट्ठाणाणि । २१।२६ । २८ । २९ । ३० । ३१ । उज्जोवुदयविरहिदविगलिंदियस्स पंच खुदयट्ठाणाणि होति, एक्कत्तीसुदयट्ठाणाभावा । वुजोवुदयसंजुत्तविगलिंदियस्स वि पंचेवुदयट्ठाणाणि, परघादुज्जीव-अप्पसत्थविहायगदीणमक्कमप्पवेसेण अट्ठावीसट्ठाणाणुप्पत्तीदो।
उज्जोवुदयविरहिदबेइंदियस्स ताव उच्चदे- तत्थ इमं इगिवीसाए हाणं, तिरिक्खगदि-बेइंदियजादि-तेजा-कम्मइयसरीर-वण्ण-गंध-रस-फास-तिरिक्खगदिपाओग्गाणुपुब्धिअगुरुअलहुअ-तस-चादर पज्जत्तापज्जत्ताणमेक्कदरं थिराथिर-सुभासुभ-दुभग-अणादेज्ज जस-अजसकित्तीणमेक्कदरं णिमिणणामं च, एदासिमेक्कवीसपयडीणमेकं ठाणं । तं कस्स ?
प्रकृतियोंका उदय भी संभव नहीं प्रतीत होता। धवलाकारने स्वयं पृष्ठ ३८ पर इन दोनों प्रकृतियोंके साथ अपर्याप्त प्रकृतिके उदयका अभाव बतलाया है। अतएव यहां पर ऐसा अर्थ लेना चाहिये कि जिन एकेन्द्रिय जीवोंके आगे चलकर शरीरपर्याप्ति पूर्ण हो जाने पर आताप या उद्योत प्रकृतिका उदय होनेवाला है, उनके सूक्ष्म, अपर्याप्त और साधारण प्रकृतियोंका उदय नहीं होगा अतएव तत्सम्बन्धी भंग भी उनके नहीं होंगे। केवल यशकीर्ति और अयशकीर्तिके विकल्पसे दो दो ही भंग होंगे।
विकलेन्द्रिय जीवोंके सामान्यतः इक्कीस, छब्बीस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस और इकतीस प्रकृतियोंके सम्बन्धसे छह उदयस्थान हैं । २१ ।२६।२८।२९ । ३० । ३१ उद्योतके उदयसे रहित विकलेन्द्रिय जीवके पांच उदयस्थान होते हैं, क्योंकि, उसके इकतीस प्रकतियोंवाला उदयस्थान नहीं होता । उद्योतके उदय सहित विकलेन्द्रियके भी पांच ही उदयस्थान होते हैं, क्योंकि, उसके परघात, उद्योत और अप्रशस्तविहायोगति, इन तीन प्रकृतियोंका एक साथ प्रवेश होनेके कारण अट्ठाईस प्रकृतियोंवाले उदयस्थानकी उपपत्ति नहीं बनती।
अब पहले उद्योतोदयसे रहित द्वीन्द्रिय जीवके उदयस्थान कहते हैं। उनमें यह इक्कीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान है-तिर्यंचगति', द्वीन्द्रियजाति', तैजस और कार्मण शरीर', वर्ण', गंध, रस, स्पर्श', तिर्यगतिप्रायोग्यानुपूर्वी', अगुरुलघु, प्रस" बादर, पर्याप्त और अपर्याप्तमेंसे कोई एक, स्थिर", अस्थिर", शुभ, अशुभ", दुर्भग', अनादेय", यशकीर्ति और अयशकीर्तिमेंसे कोई एक और निर्माण', इन इक्कीस प्रकृतियोका एक उदयस्थान होता है।
शंका-यह इक्कीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान किस जीवके होता है ?
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