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सर्वार्थसिद्धि
हस्तलिखित प्रतियोंके प्राप्त करनेमें हमें श्रीमान् पं० पन्नालालजी अग्रवाल दिल्ली, पं० नेमिचन्द्रजी ज्योतिषाचार्य जैन सिद्धान्त भवन आरा, पं० के० भुजबलिजी शास्त्री मूडबिद्री और पं० दरबारीलालजी कोठिया न्यायाचार्य दिल्ली से पूरी सहायता मिली है, अतएव हम इनके भी आभारी हैं।
भारतीय ज्ञानपीठके मैनेजर वि० श्री बाबूलालजी फागुल्ल उसके प्रकाशनोंको सुन्दर र आकर्षक बनाने में पर्याप्त श्रम करते रहते हैं। सर्वार्थसिद्धिको इस योग्य बनाने में व दूसरे प्रकारकी सहयता पहुंचाने में भी उन्होंने हमें सहयोग दिया है, अतएव हम उनके भी आभारी हैं।
सर्वार्थसिद्धिके परिशिष्ट और विषयसूची हमारे सहपाठी पं० हीरानानजी शास्त्रीने तैयार किये हैं और आवश्यक संशोधनके साथ वे इसमें दिये गये हैं, अतएव हम इनका जितना आभार मानें थोड़ा है ।
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तत्त्वार्थ सूत्र की उपलब्ध टीकाओं में सर्वार्थसिद्धि प्रथम टीका है। इसमें प्रमेयका विचार आगमिक, दार्शनिक आदि सभी पद्धतियोंसे किया गया है। हमें आशा है कि इस सम्पादनसे समाज में इसका मान और अधिक बढ़ेगा ।
- फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री
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