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खंड - १ विवाहितों के लिए ब्रह्मचर्य की चाबियाँ
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विषय नहीं, लेकिन निडरता वही विष
सावधान, विषय में निडरता से विषय, वे विष नहीं हैं, विषय में निडरता वही विष है। इसलिए घबराना मत। सभी शास्त्रों ने जोर देकर कहा है कि विषय वे विष हैं। विष कैसे हैं? विषय कहीं विष होता होगा? विषय में निडरता, वही विष है। विषय यदि विष होता न, तो फिर आप सभी घर पर रह रहे होते और आपको मोक्ष में जाना होता तो मुझे आपको हाँककर भेजना पड़ता कि जाओ उपाश्रय में, यहाँ घर पर मत पड़े रहो। ऐसे हाँककर भेजना पड़ता या नहीं भेजना पड़ता? लेकिन क्या मुझे किसी को हाँकना पड़ता है ? हम तो कहते हैं कि जाओ, घर जाकर आराम से पलंग पर सो जाओ।
विषयरहित ब्रह्मचारी कितने होंगे इस दुनिया में? यानी पाँच-दस हज़ार होंगे, शायद बीस-पच्चीस हज़ार होंगे, लेकिन फिर भी ये साढ़े चार अरब लोग तो विष पीया ही करते हैं। विषय को विष रूपी लिखा है, उससे मनुष्य के मन पर क्या असर होगा? 'विषय विष हैं' ये शब्द शादीशुदा लोगों के सुनने में आए, तो क्या होगा? शादीशुदा लोगों के सामने यह शब्द बोलना ही नहीं चाहिए और जो ऐसा शब्द बोले तो उससे कहें