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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
हो जाती है। रोज़ प्याज़ खानेवाले को, सारे घर में प्याज़ भरी हो, फिर भी उसे गंध नहीं आती और जो प्याज़ नहीं खाता, उसे यहाँ से दो सौ फीट दूर भी प्याज़ रखी हो तो भी गंध आती है। यानी साथ में सोने से नाक की इन्द्रिय खत्म हो जाती है। वर्ना क्या एक साथ सो पाते! यह प्याज़ की बात समझ में आई आपको?
प्रश्नकर्ता : आ गई, अच्छी तरह।
दादाश्री : ऐसा ज्ञान भी मुझे देना पड़ेगा? आप सभी को जानना चाहिए ऐसा ज्ञान तो! यह भी क्या मुझे बताना पड़ेगा?
प्रश्नकर्ता : जब तक आप नहीं बताते, तब तक वह आवरण नहीं हटता, भले ही कितना भी जानता हो, फिर भी। वचनबल से ही हटते हैं सभी के।
डबलबेड से दुगना विषय दादाश्री : एक ही पलंग तो हमने कभी देखा ही नहीं। और आज तो, आज के जमाने के सभी पढ़े-लिखे लोग कहते हैं, 'डबलबेड ला दीजिए बेटे के लिए।' घनचक्कर, अभी से ऐसा सिखा रहा है? डबलबेड होता होगा कहीं? वह तो 'वाइल्डनेस' (जंगलीपन) घुस गई है। यह ब्रह्मचारियों का देश, वानप्रस्थाश्रम की पूजा करनेवाला देश! डबलबेड का मतलब समझ गए न आप?
प्रश्नकर्ता : हाँ।
दादाश्री : शादी करवाने से पहले डबलबेड खरीदकर लाते हैं। बाप मँगवाता है, इसलिए बेटा ऐसा समझता है कि हमारे बाप-दादा भी इन्हें दिलवाते होंगे। इसलिए ये हमें दिलवा रहे हैं। परंपरागत रिवाज है क्या यह? यह कितनी अधिक हिंसा? यह तो अपने महात्माओं से कह सकते हैं, बाहर तो नहीं बोला जा सकता। बाहर तो जो प्रवाह चल रहा है उस प्रवाह से उल्टा चलें, तो वह गुनाह है। कुदरती प्रवाह है। यह बात तो सिर्फ महात्माओं के लिए है। यह सापेक्ष बात है। यह निरपेक्ष बात नहीं है। जो समझ सकें, उन्हीं के लिए है। बाहर तो यह बात कह ही नहीं सकते न!