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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
में आना चाहो तो हर तरह की छूट देने को तैयार हूँ। क्योंकि नियम ही मोक्ष में ले जाता है। यम यानी क्या ? 'ब्रह्मचर्य पालन करने का ज्ञान जानना' वह यम कहलाता है, ‘सत्य बोलना चाहिए', ऐसा जानना, वह यम कहलाता है, 'चोरी नहीं करनी चाहिए' ऐसा जानना, वह यम कहलाता है । 'परिग्रह नहीं करना चाहिए', वह यम कहलाता है। 'हिंसा नहीं करनी चाहिए' वह यम कहलाता है। इतना जाना, यानी आप यम में आ गए। जानने के बाद तय किया कि कोई नियम रखना चाहिए, उस घड़ी आप नियम में आए और नियम रखने के बाद आप उसका 'एक्ज़ेक्ट' पालन करो, तब आप संयम में आ गए।
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गृहस्थाश्रम में ब्रह्मचर्य
कौन-कौन से चार आश्रम रखे गए थे ?
प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यस्ताश्रम, और फिर हर एक पच्चीस-पच्चीस साल का ।
दादाश्री : यह तो, जब सौ साल तक जीते थे तब की बात है I यह व्यवस्था कितनी सुंदर है ! और वह व्यवस्था शब्द क्या करता है ? वह मन पर इफेक्ट करता है, इसलिए मन उस ओर मुड़ जाता है। अभी गवर्नमेन्ट ऑर्डर जारी करे कि 'नौ बजे बाद सभी को सो जाना है', ऐसा सख़्त ऑर्डर जारी करे दो-चार बार, तो फिर मन उस ओर मुड़ जाएगा। मन का स्वभाव है कि 'ऑर्डर क्या है ?' मन डिस्ऑर्डरवाला नहीं है। ऑर्डर में होना चाहिए ।
प्रश्नकर्ता : सांसारिक जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन किया जा सकता
है ?
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दादाश्री : हाँ, बहुत अच्छी तरह से पालन करनेवाले होते हैं। पहले ऋषि-मुनि ब्रह्मचर्य का पालन करते थे, स्त्री और पुरुष दोनों । विवाहित लोग भी पालन करते हैं । दोनों साथ में रहते हैं, वे सब भी पालन करते हैं। हमने कईयों को विधि की है और ऐसा ब्रह्मचर्यव्रत भी दिया है !