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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
उसके फलस्वरूप बिना मेहनत के ब्रह्मचर्य प्राप्त होगा। ब्रह्मचर्य मिल जाएगा, उसे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। वहाँ बदलना नहीं पड़ेगा। इस जन्म में जितना पालन किया जा सके, उतना इस जन्म में शरीर अच्छा रहेगा, मन अच्छा रहेगा। वर्ना मन ढीला पड़ जाएगा। मन स्वस्थ रहे वह फ़ायदा कम नहीं है न? और सभी फाइलें दूर रहेंगी न!
प्रश्नकर्ता : ब्रह्मचर्य की भावना करेंगे तो फिर अमल में आएगी
न?
दादाश्री : हाँ, भावना, वही बीज है और अमल में आना, वह परिणाम है। आज भले ही अमल में नहीं आया, यानी बीज नहीं डाला था। इसलिए अब बीज डालो तो फिर अमल में आएगा। कभी सुना ही नहीं था, तो बीज डालता कैसे? ब्रह्मचर्य जैसी चीज़ ही नहीं सुनी थी न !
अरे! यह तो दुरुपयोग हुआ छ:-बारह महीने स्त्री विषय से दूर रहे न, तभी भान होगा, यह तो भान ही नहीं है। सारे दिन उसका नशा चढ़ता रहता है और नशे में ही घूमता रहता है। इसलिए महात्माओं से कहते हैं कि छ:-बारह महीने के लिए कुछ करो न, कुछ। आपको क्या परेशानी है ? थोड़े-बहुत महात्माओं ने ऐसा मन में तय किया और व्रत को ट्रायल में भी लिया, सभी ऐसा करें तो काम हो जाएगा न! आज यह मोक्ष का साधन मिला है, अन्य सबकुछ खाने-पीने की छूट है। सिर्फ यही एक चीज़ नहीं। उसका भगवान ने वर्णन किया है न! वह वर्णन यदि करने जाए न, तो पूरा वर्णन सुनते ही मर जाए मनुष्य।
जानवर अच्छे हैं बल्कि! उनमें कोई तो नियम-बाधा होती है। ये तो जानवर ही देख लो न! क्योंकि अभी भी नशे में ही रहा करते हैं। अरे! परसों दो-चार-पाँच महात्माओं ने बताया तो वह बात सुनकर मैं तो दंग रह गया कि, 'ऐसे भी लोग हैं अभी?' कैसे शोभा देगा आपको? इसके अलावा बाकी कुछ भी करो न, सभी विषयों की छूट है। यह विषय बंधनकर्ता है। सामने फाइल है, क्लेम है यह तो। तीस सालों तक सारे