Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 287
________________ [५] संसारवृक्ष की जड़, विषय कॉमनसेन्स से टलें टकराव अनंत जन्मों से शादी करता आया है, फिर भी क्या स्त्री का मोह चला जाता है ? हर जन्म में बच्चे पैदा किए, फिर भी बच्चों का मोह चला जाता है ? अरे, किस जन्म में बच्चे नहीं हुए ? प्रश्नकर्ता : ये जो टकराव और कषाय होते हैं, उनकी जड़ विषय ही है न? दादाश्री : हाँ, सबकुछ विषय के कारण ही है । वह विषय में एक्सपर्ट हो जाता है। विषय में 'टेस्टफुल' हो जाता है, इसलिए अंदर स्वार्थ रहता है और स्वार्थ के कारण टकराव होते हैं । जहाँ स्वार्थमय परिणाम होते हैं, वहाँ कभी कुछ भी दिखाई नहीं देता । स्वार्थी हमेशा अंधा होता है। स्वार्थी, लोभी और लालची, सभी अंधे होते हैं । इस दुनिया का पूरा आधार पाँच विषयों पर ही है । जिन में विषय नहीं है, उन में टकराव नहीं होते प्रश्नकर्ता: खुद में विषय नहीं है, लेकिन उसके कारण क्या किसी और को टकराव हो सकता है ? दादाश्री : किसी को क्यों होगा ? हाँ, किसी को यदि होता है, तो वह उसकी भूल है। जो न्यायपूर्वक होगा, उसे दुःख नहीं होगा, लेकिन फिर अपने आप मानकर दुःख मोल लेता है, उसका क्या हो सकता है? हो सके तब तक उसे समझौता करना आए तो अच्छा होगा। प्रश्नकर्ता: साथ में ज्ञान हो तो तुरंत 'ब्रेक' लगाया जा सकता है ?

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