________________
संसारवृक्ष की जड़, विषय
२५१
दादाश्री : कुछ भी कहा नहीं जा सकता, वापस फिसल भी सकता है। ज्ञानवाले भी स्लिप हो जाते हैं। यदि कोई कॉमनसेन्सवाला हो, कॉमनसेन्स यानी क्या कि एवरीव्हेर एप्लिकेबल, ऐसा कोई हो तो वह मार्ग निकाल लेगा। सभी ताले खोलकर मार्ग निकाल लेगा। टकराव में से रास्ता निकाल लेगा, लेकिन वह एक्सपर्ट नहीं होता।
प्रश्नकर्ता : उसे, कॉमनसेन्सवाले को जलन रहती है?
दादाश्री : नहीं, यदि जलन रहेगी तो कॉमनसेन्स उत्पन्न होगा ही नहीं। जलन विषयवालों को होती है। जब तक जलन है, तब तक विषय रहेगा और जब तक विषय है, तब तक जलन रहेगी।
___ फर्क, विषय और कषाय में
प्रश्नकर्ता : विषय और कषाय, इन दोनों मे मूलभूत फर्क क्या है?
दादाश्री : कषाय अगले जन्म का कारण है और विषय पिछले जन्म का परिणाम है। इन दोनों में बहुत फर्क है।
प्रश्नकर्ता : इसे जरा विस्तार से समझाइए।
दादाश्री : ये जितने भी विषय हैं, वे पिछले जन्म के परिणाम हैं। इसलिए हम डाँटते नहीं हैं कि आपको मोक्ष चाहिए तो जाओ, अकेले पड़े रहो। आपको घर से बाहर नहीं हाँक देते। लेकिन हमने हमारे ज्ञान से देखा है कि विषय पिछले जन्म का परिणाम है। इसलिए कहा है कि जाओ, घर जाकर सो जाओ, आराम से फाइलों का निकाल करो। हम अगले जन्म का कारण तोड देते हैं और जो पिछले जन्म का परिणाम है, उसका छेदन हम से नहीं हो सकता। किसी से भी छेदन नहीं हो सकता। महावीर भगवान से भी छेदन नहीं हो सकेगा। क्योंकि भगवान को भी तीस साल तक संसार में रहना पड़ा था और बेटी हुई थी। विषय और कषाय का सही मतलब ऐसा होता है, लेकिन इस बारे में लोगों को कुछ पता ही नहीं चलता न? वह तो सिर्फ भगवान महावीर ही जानते थे कि इसका अर्थ क्या होता हैं।