Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 320
________________ ब्रह्मचर्य हेतु वैज्ञानिक 'गाइड' २८३ __ दादाश्री : ब्रह्मचर्य व्रत लेने मेरे पास आते ही हैं न। कई तो पत्नी के साथ ब्रह्मचर्य लेने आते हैं। यानी यह पहली बार विषय पर ऐसा लिखा गया है। पहली बार। और विषय का यथावत् स्वरूप बताया है। प्रश्नकर्ता : आपने जो स्पष्टीकरण दिए हैं, ऐसे स्पष्टीकरण आज तक हुए ही नहीं है। दादाश्री : स्पष्टीकरण कैसे देंगे लेकिन? जहाँ खुद ही बेभान है, उसी में ही पड़े हुए हैं, तभी तो ये समझ नहीं पाते कि यह विषय क्या चीज़ है? यानी सीक्रेसी है वह, इसलिए ब्रह्मचर्य की बातें नहीं होती। इसलिए मुझे कहना पड़ता है इन साधुओं से, कि क्यों उस तरफ की सीक्रेसी नहीं खोलते? लोगों को हज़ारों साल तक यह पुस्तक काम में आएगी। ब्रह्मचर्य के बारे किसी ने कुछ कहा ही नहीं और ब्रह्मचर्य के बारे में किसी ने कुछ खुलकर बताया ही नहीं। इस पुस्तक को पढ़कर पालन करना। पुस्तक पढ़े बगैर कोई ब्रह्मचर्य पालन करे तो अर्थहीन है। समझे बिना करे तो वह व्यर्थ है, समझसहित होना चाहिए। पढ़ो, इस पुस्तक में जो लिखा है न, उसे पढ़कर ही अपने आप ब्रह्मचर्य पालन करने का मन होता है। नहीं की बात किसी बाप ने तेरे बाप ने समझाया तो है न तुझे ? प्रश्नकर्ता : नहीं समझाया था इतना सब। आज कल कोई बाप या अन्य कोई ऐसी बात नहीं समझाता, ऐसी बात कोई नहीं करता! दादाश्री : बात ही नहीं करते, नहीं? कोई पुरुष किसी स्त्री से ब्रह्मचर्य की बात ही नहीं करता। इसका कारण क्या है कि अंदर नीयत चोर है सभी की और माता-पिता क्यों बात नहीं करते? तो इसलिए कि उन्हें शर्म आती है। खुद पालन नहीं कर रहे हों तो कैसे कहेंगे? अतः

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