Book Title: Samaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 323
________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) हिन्दुस्तान में बनी ही नहीं है । हिन्दुस्तान में ब्रह्मचर्य की ऐसी पुस्तक खोजने जाओगे तो नहीं मिलेगी । क्योंकि जो खरे ब्रह्मचारी हो चुके हैं, वे कहने को नहीं रहे और जो ब्रह्मचारी नहीं हैं, वे कहने को रहे हैं पर उन्होंने कुछ लिखा नहीं है। जो ब्रह्मचारी नहीं होंगे, वे कैसे लिखेंगे? खुद में जो दोष होते हैं, उनका कोई विवेचन नहीं कर सकता । जो ब्रह्मचारी थे वे कहने को नहीं रहे, जो खरे ब्रह्मचारी थे, वे थे चौबीस तीर्थंकर ! कृपालुदेव ने भी थोड़ा बहुत कहा है। दादा करें जीर्णोद्धार, महावीर शासन का कड़वा लगता है थोड़ा-थोड़ा ? प्रश्नकर्ता: नहीं, नहीं । क्षत्रिय थे, इसलिए इसका मंडान किया था भगवान महावीर ने । उनके शासन में हम क्षत्रिय हैं, जो इसका जीर्णोद्धार कर रहे हैं ! अन्य किसी का काम नहीं है, जीर्णोद्धार करने का । जीर्णोद्धार तो होना ही चाहिए न ! २८६ जिसने हमारी यह ब्रह्मचर्य की पुस्तक पढ़ी हो, वही ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है, वर्ना ब्रह्मचर्य पालन कोई आसान चीज़ है ? मेरा तो ‘ओपन टू स्काइ' जैसा है। एक बाल जितनी चीज़ भी गुप्त नहीं रखी है। यह ज्ञान होने के बाद मैंने अब्रह्मचर्य का कभी मन से भी सेवन नहीं किया है। विषय का मुझे विचार तक नहीं आता । स्त्रियों को देखकर मुझमें विषय उत्पन्न नहीं होता, क्योंकि मुझे आत्मा ही दिखाई देता है । निर्विचार दशा, निरीच्छक दशा, जिसे किसी भी प्रकार की इच्छा ही नहीं है । आज अट्ठाईस साल से हमें विचार ही नहीं आया है । निर्विकारी दशा, निर्विकल्प दशा, कोई विकल्प ही नहीं । यह तो जगत् का कल्याण कर देगा ! जय सच्चिदानंद

Loading...

Page Navigation
1 ... 321 322 323 324 325 326