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आकर्षण-विकर्षण का सिद्धांत
२७५ कहा कि, 'आप मेरे पति हैं।' और फिर चलती बने। तब, फिर उसे पति क्यों कहती है ? लेकिन फिर सुनाती है!
बात अच्छी लग रही है या ज़रा कठिन है?
प्रश्नकर्ता : बहुत अच्छी लग रही है। पूरा निकाल कर देना है इसलिए सब जानना है, अभी तो बहुत कुछ जानना है।
दादाश्री : लेकिन लोग क्या समझते हैं, 'मैं खिंच गया, इच्छा नहीं थी, फिर भी। मुझसे व्रत का पालन नहीं हो सका। मेरा व्रत भंग हो गया।' अरे! भंग नहीं हआ है। तुझे भ्रम है एक तरह का। इस विज्ञान को तो समझ कि 'कौन खींच रहा है?' तुझे नहीं खिंचना है, फिर भी कौन तुझे खींच ले गया? और कौन मालिक है बीच में, जो खींच ले गया? तब कहता है, 'मैं खिंच गया, मेरा मन बिगड़ गया। मन निर्बल हो गया।' अरे! तेरा मन तुझे क्यों खींचने लगा? मन से तेरा क्या लेना-देना है? वह मिकेनिकल ऐडजस्टमेन्ट अलग है और तू अलग। अब बोलो, पूरी दुनिया मार खा जाती है न!
यह तो इलेक्ट्रिसिटी की वजह से सभी परमाणु पावरवाले हो जाते हैं और इसलिए परमाणु खिंचते हैं। जैसे, पिन और लोहचुंबक के बीच क्या कोई आ गया है ? पिन को हमने सिखाया था कि तू इधर-उधर होना?
प्रश्नकर्ता : उसे इलेक्ट्रिसिटी छूए ही नहीं, ऐसा नहीं हो सकता? उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता?
दादाश्री : कंट्रोल नहीं हो सकता। कभी भी इलेक्ट्रिकल चीज़ को कंट्रोल नहीं किया जा सकता। कंट्रोल तो, उसे ऐडजस्टमेन्ट करने से पहले कंट्रोल किया जा सकता है। बाद में, ऐडजस्टमेन्ट तय होने के बाद फिर नहीं हो सकता।
यानी यह पूरी देह तो विज्ञान है। विज्ञान से यह सब चल रहा है। अब, जब खिंचाव होता है तो उसे लोग कहते हैं कि 'मुझे राग हुआ'। अरे! आत्मा को राग तो होता होगा? आत्मा तो वीतराग है! आत्मा को