________________
समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
हुई है यह तो। जो सुख नहीं ढूँढे उसके साथ तो किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती न?
प्रश्नकर्ता : आती ही नहीं ।
I
दादाश्री : महंगे अच्छे आम आते हैं, कई चीजें आती हैं, कैसीकैसी मिठाइयाँ होती हैं सब ! देखने की कैसी-कैसी चीजें होती हैं ! जबकि यह तो जूठन में सुख खोजता है। पूरे गाँव की जूठन कहलाती है । और फिर वह भी सुख ढूँढ रही होती है। आप उसमें सुख ढूँढो और वह आपमें सुख ढूँढे, तो वहाँ दोनों का मेल कैसे बैठेगा? आपको क्रिकेट देखने जाना हो और वह कहे कि सिनेमा देखने जाना है, तो आपका झगड़ा कब खत्म होगा ?
२१४
प्रश्नकर्ता : नहीं होगा ।
दादाश्री : ऐसा है, यदि आपको सुखी होना हो तो इस जगत् में सभी चीजें भोगना। क्या ? जिसे बदले में भोगने की इच्छा नहीं हो, वह खुद भोगने की इच्छावाला नहीं हो, उसे भोगना । जलेबी में भोगने की इच्छा होती है, जलेबी में?
प्रश्नकर्ता : नहीं।
दादाश्री : तो आप जलेबी खाओ न ! अन्य सभी चीजें खाने की छूट है। सामने इच्छावाला होगा, तब तो फिर आप मारे ही जाओगे न ?
प्रश्नकर्ता : जो सुख ढूँढ रहा हो, वहाँ सुख नहीं ढूँढना चाहिए ?
दादाश्री : हाँ, वहाँ सुख नहीं ढूँढना चाहिए। यानी अन्य सभी चीज़ों के अलावा एक ही, सिर्फ यह स्त्री विषय ही ऐसा है कि वह खुद सुख की इच्छा रखनेवाली है और आप भी इच्छावाले, तो फिर दोनों का मेल कब पड़ेगा ?
प्रश्नकर्ता : मेल नहीं पड़ेगा ।