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लो व्रत का ट्रायल
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प्रश्नकर्ता : हाँ, लेकिन दोनों एक होकर आएँ तभी संभव हो
सकेगा।
दादाश्री : हाँ।
प्रश्नकर्ता : लेकिन यदि पुरुष की इच्छा ब्रह्मचर्य पालन की हो और स्त्री की नहीं हो तो क्या करना चाहिए ?
दादाश्री : नहीं हो तो उसे क्या परेशानी है ? समझा देना । प्रश्नकर्ता : कैसे समझाऊँ ?
दादाश्री : वह तो समझाते - समझाते रास्ते पर आ जाएगा, धीरे-धीरे । एकदम से बंद नहीं होगा। समझाते - समझाते । दोनों समाधानपूर्वक मार्ग अपनाओ न! इसमें क्या नुकसान है, ऐसी सब बातें करना और ऐसे विचार भी करना।
प्रश्नकर्ता : पुरुष ने ज्ञान लिया है लेकिन स्त्री ने ज्ञान नहीं लिया है। पुरुष को मालूम है कि यह ब्रह्मचर्य.....
दादाश्री : वह नहीं चलेगा । स्त्री को भी ज्ञान दिलवाना चाहिए। शादी क्यों की थी ?
प्रश्नकर्ता : लेकिन पुरुष की भावना होते हुए भी स्त्री को ज्ञान दिलवाना संभव नहीं हो पाता ।
दादाश्री : ऐसा नहीं हो पाए तो संयोगों को समझना ! तब तक संयोगों के आधार पर रहना पड़ेगा न, थोड़े समय तक !
बीज में से बाली अगले जन्म में
प्रश्नकर्ता : अब्रह्मचर्य का माल भरा हुआ हो और खुद, उसे बदलने के प्रयत्न करे, यानी जो पूरा पुरुषार्थ करे तो उसका फल आएगा
न ?
दादाश्री : उसका फल अगले जन्म में आएगा। अगले जन्म में