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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
अमरीकावालों के लिए ठीक है, लेकिन उनका देखकर हम भी ले आए डबलबेड, किंग बेड!
खरे पुरुष कैसे होते हैं ! हमारे गाँव का एक किस्सा सुनाता हूँ, ब्रह्मचर्य की बात निकली है तो। मुझे कई अच्छे-अच्छे लोग मिले थे। बचपन से ही मैं ऐसे संयोग लेकर आया था। सत्तर साल के एक प्रभावशाली पुरुष थे। उनकी याददाश्त तेज़, चेहरे पर नूर भी कितना था! मैंने सोचा, ये इतने प्रभावशाली कैसे होंगे? इसमें कुछ तो ज्ञान-वान होगा? या तो 'ज्ञानी' प्रभावशाली होते हैं या फिर 'ब्रह्मचारी' कुछ प्रभावशाली होता है। फिर मुझे लगा कि इस पाटीदार में ज्ञान तो नहीं हो सकता, इसलिए चलो पता लगाते हैं कि क्या कारण है इसके पीछे ? वे हमारे रिश्तेदार लगते थे और मेरी उम्र थी सत्रह साल की। ये पटेल ऐसे दिखते हैं जबकि दूसरे सब पटेल ऐसे दिखते हैं। इन पटेल में कुछ ग़ज़ब का है। उनके बेटे भी बड़े सुंदर थे!
एक दिन मैं उनके घर गया। तब मैंने कहा, 'चाचा, मैं घर जाकर आऊँ?' वे आँगन में बैठे रहते थे। घर भी था और आँगन भी था बैठने के लिए। बैठकवाला कमरा भी था नया, अलग। घर से दो-सौ, तीनसौ फुट दूर तब वे बोले, 'बैठ न ! अब यहीं चाय मँगवा देता हूँ। तू बैठ यहाँ मेरी चाय आएगी। तू भी थोड़ी चाय पीना।' मुझे यह अच्छा लगा। मुझे तो किसी न किसी बहाने उनसे बात करनी थी। तब फिर मैंने पूछा, 'चाचाजी, आप कहाँ सोते हैं ?' तब कहा, 'मैं यहीं सो जाता हूँ।' मैंने पूछा, 'कितने सालों से?' तब कहा, 'जब से शादी की, तभी से यहाँ सोता हूँ।' 'क्या?' मैं तो चकित हो गया। मैंने सोचा, 'यह क्या?' फिर मैं ज़रा गहराई में गया, 'चाचाजी, मुझे इसमें इन्टरेस्ट है। ज़रा बताइए न? चाचीजी कभी यहाँ आती हैं?' वे बोले, 'महीने में दो दिन बुलाता हूँ, बस।' मैंने सोचा, 'यह चमक किसकी? यह तेज किस वजह से है? कहाँ से लाए? आप पाटीदार को देखो!' तब मैंने पूछा, 'आप क्या करते हैं?' तब बताया, 'कभी भी एक ही बिस्तर में नहीं सोया हूँ और पैंतीस साल से वानप्रस्थाश्रम में ही हूँ। एक बिस्तर में यदि दोनों सोएँ तो दोनों स्त्रियाँ हो गईं समझो, उसका