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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
दादाश्री : नहीं, ऐसा नहीं है लेकिन वह तो, यह जो हिसाब है न, वह हिसाब सारा चुकता हो रहा है। हाँ, हिसाब चुक गया, ऐसा कब कहा जाएगा? साथ में सोएँ, लेकिन वह सब अच्छा नहीं लगे, अंदर अच्छा नहीं लगे और सोना पड़े, तब हिसाब चुक जाता है!
प्रश्नकर्ता : खुद को पसंद है, लेकिन अंदर से प्रज्ञाशक्ति अथवा समझ चेतावनी देती है।
दादाश्री : मन को भले ही पसंद हो, लेकिन आपको पसंद है?
आपको समझ में आया न, कि यह भूल कहाँ है, कैसी हुई है ? और भूल मिटानी तो होगी न? जो प्रारब्ध में हो वह भुगतना, लेकिन भूल तो मिटानी पड़ेगी न? भूल नहीं मिटानी पड़ेगी?
____ अरे भाई, 'बेडरूम' तो नहीं बनाने हैं। वह तो, एक ही रूम में सब साथ में सो जाना और बेडरूम तो संसारी जंजाल! यह तो बेडरूम बनाकर पूरी रात संसार के जंजाल में पड़ा रहता है। आत्मा की बात तो कहाँ से याद आएगी? बेडरूम में आत्मा की बात याद आती होगी?
मनुष्यपन खो देते हैं। सारे ब्रह्मांड को हिला दें ऐसे लोग, देखो न, यह दशा तो देखो! यह हीन दशा देखो। आप समझे मेरी बात?
विषयभोग के अरे, कैसे परिणाम! आत्मा में कितनी शक्ति होगी? अनंत शक्तियाँ हैं आत्मा में। लेकिन सारी शक्तियाँ आवृत हुई पड़ी हैं। जब आप 'ज्ञानीपुरुष' के पास जाते हो, तब वे आवरण हटा देते हैं और आपकी शक्तियाँ खिल उठती हैं। भीतर सुख भी अपार है, फिर भी विषयों में सुख खोजते हैं। अरे! विषय में सुख होता होगा कहीं? इन कुत्तों को भी यदि खाना-पीना दिया हो न, तो वे भी बाहर नहीं जाते। ये बेचारे तो भूख के कारण बाहर घूमते रहते हैं। ये मनुष्य सारा दिन खाकर घूमते रहते हैं। मनुष्यों का भूख का दु:ख मिटा है तो उन्हें विषयों की भूख लगी है। मनुष्य में से पशु बनने को हो, तभी तक विषय है। लेकिन जो मनुष्य में से परमात्मा बननेवाला है उसमें विषय नहीं होता।