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लो व्रत का ट्रायल ब्रह्मचर्य के बाद ही आत्मा का स्पष्ट अनुभव
प्रश्नकर्ता : मूल प्रश्न ऐसा है कि आप ऐसा कोई मानसिक रिलीज़ बताइए, जिससे लोग अवलंबन से मुक्त रह सकें। इसमें रहकर भी हल्के होकर रह पाएँ।
दादाश्री : हाँ, हम सभी को ऐसा ही बताते हैं। वह अनुभव किसे होता है कि जिन्हें स्त्री का संयोग नहीं है। उसे उसका अनुभव रहा करता है। अन्य सभी को अनुभव होता अवश्य है, लेकिन स्त्री संयोग के कारण उन्हें बाधा रहा करती है। एक ही बार का स्त्री संयोग हो जाए तो तीन दिनों तक तो मन को एकाग्र नहीं होने देता। इसलिए वह बाधक है। अतः अपने इन ब्रह्मचारियों को यह अनुभव जल्दी हो जाता है और उसी के आधार पर वे ब्रह्मचर्य पालन कर सकते हैं।
विषय तो एक प्रकार का रोग है। प्रश्नकर्ता : बड़ा रोग, बहुत बड़ा, कैन्सर जैसा।
दादाश्री : बहुत बड़ा। कैन्सर तो अच्छा है बल्कि! वह तो एक ही जन्म के लिए मारता है। यह तो अनंत जन्म बिगाड़ देता है। यह तो, अनंत जन्मों से यही मार पड़ रही है न! आपको नहीं लगता कि यह रोग है ? हे! मन में तो सभी समझते हैं, लेकिन क्या करें? निकल नहीं पा रहे हों तो? फिर भी यदि मैं विधि कर दूं तो छूट जाएगा।
ब्रह्मचर्य को हम समझें तो वह कंट्रोलेबल हो सकता है। विषय में