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विषय बंद, वहाँ लड़ाई-झगड़े बंद
को शोभा देता है क्या? यानी थोड़ा बहुत संयम होना चाहिए, सभी कुछ होना चाहिए।
मनुष्य को संयमी रहना ही चाहिए। संयम से तो मनुष्य की शोभा है। संयम के बारे में शास्त्रकारों ने छोटे से छोटा संयम यह बताया है कि महीने में दस दिन हो तब तक उसे चला लेंगे। और बड़ा संयम इसे कहा कि महीने में चार ही बार हो। उसका कोई नियम तो होना चाहिए या नहीं होना चाहिए? महीने में कितने दिनों की छुट्टी मिलती है?
प्रश्नकर्ता : आठ दिन। दादाश्री : हाँ, तो ऐसा कुछ नियम होना चाहिए या नहीं? प्रश्नकर्ता : लेकिन संयम कैसे रखें?
दादाश्री : आप किसी के घर गए हों और बहुत भूख लगी हो, तो आप कहो कि, 'भाई साहब, खाना दीजिए न!' लेकिन यदि वह कहे कि, 'यहाँ आपको खाना नहीं मिलेगा।' तो आप क्या करोगे? जो होना हो सो होगा, लेकिन तब तो वहाँ से चले जाओगे न? रौबदार हो न! क्या बिल्कुल ही बिना रौबवाले कुत्ते जैसे हो? फिर खाने के लिए खड़ा रहेगा वहाँ?
प्रश्नकर्ता : नहीं।
दादाश्री : हैं, ऐसे कुछ इज़्ज़त तो होनी चाहिए या नहीं? स्वमान फ्रैक्चर होने देना चाहिए या विषय फ्रैक्चर होने देना चाहिए? क्या फ्रैक्चर होने देना चाहिए? भले ही कैसा भी विषय हो, लेकिन यदि वह स्वमान फ्रैक्चर करे, तो वह किस काम का? सभी जगह ऐसा ही हो गया है, आपके साथ नहीं, सभी जगह यही हो गया है। नींद ठीक से आए, अपना खुद का स्वतंत्र जीवन हो, जीवन खुद के कंट्रोल में हो। जो संयमी पुरुष होते हैं न, उनका स्लीपिंग रूम अलग होता है। हं... अलग, पहले से ही अलग रखते थे, वर्ना फिर मनोबल ढीला पड़ जाता है। फिर उसके बाद उसे अपमान-स्वमान का ठिकाना नहीं रहता।