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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
आजिज़ी करवाती है।' तब मैंने कहा, 'मुए, तेरा रूआब चला गया तो क्या करवाए फिर? समझ जा न अभी भी, योगी बन जा न!' अब इनका कैसे पार पाएँ? इस दुनिया का पार कैसे पाएँ ?
___ एक स्त्री अपने पति से चार बार साष्टांग करवाती है, तब एक बार छूने देती है। तब मुए, इसके बजाय समाधि ले ले तो क्या बुरा है ? समुद्र में समाधि ले तो सीधे समुद्र तो है। झंझट तो नहीं! इसके लिए चार बार साष्टांग!
मुंबई में एक आदमी तो मुझसे फरियाद करने आया और कहने लगा कि पाँच बार फाइल नंबर दो के पाँव छूए, तब जाकर मुझे संतुष्ट किया। मुए! इसके बजाय तो... कैसा आदमी है तू, जानवर है क्या! क्या देखकर मुझे बताने आया तू! विषय की भीख माँगी जाती होगी कभी? क्या लगता है तुझे ? अरे मुए! पाँच बार? अब मुझे सीधा बताने आया, इसलिए मुझे डाँटना पड़ा। फिर मुझसे कहने लगा कि अब रास्ता बताइए। तब मैंने कहा, 'अब जब यह छूट जाएगा, उसके बाद रास्ता बताया जा सकता है ! फिर धीरे-धीरे वह सीधा हो गया। उल्टा चलेगा तो फिर क्या होगा?
विषय के भिखारीयों, देखो संयमी 'वीर' को
वह मुझे ऐसा कहकर गया कि 'मुझे विषय की भीख माँगनी पड़ती है।' अरे! विषय की भीख माँगते हो! कैसे आदमी हो! जानवर से भी बदतर! विषय की भीख माँगी जाती होगी? खाने की भीख नहीं माँगते, भूख लगी हो तो क्या भीख माँगते हैं कभी! कुछ शूरवीरता तो होनी चाहिए या नहीं? अब इतना अधिक असंयम कैसे पुसाए? आप नहीं समझे, मैंने जो बात कही वह ?
प्रश्नकर्ता : हाँ समझ गया।
दादाश्री : माँगते समय इस तरह नमस्कार भी करता है। भाड़ में जाए तेरी माँग! और फिर पति कहता है 'मैं पति हूँ!' अरे मुए, पति ऐसा होता होगा? आपको अनुचित नहीं लगता? यह उचित बात है? इन्सान