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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
कि 'मुझे सिनेमा देखने जाना है ।' तब अगर आप नहीं जाओगे तो कलह ! जान पर बन आई समझो ! क्योंकि सामने मिश्रचेतन है और वह क़रारवाला है इसलिए दावा करेगी !
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नहीं !
प्रश्नकर्ता : उस क़रार को फाड़ देना चाहिए ?
दादाश्री : उस क़रार को फाड़ दोगे, तो फिर कोई दुःख रहेगा ही
पत्नी तो कब वश होगी ?
पत्नी यदि पति की भक्ति करे तो पत्नी को मनुष्यपन मिलता है और पति यदि पत्नी की भक्ति करे तो पाशवता मिलती है । चार पैर और दुम बोनस में। उछल-कूद करना अपने आप कोई पूछनेवाला ही नहीं फिर तो !
यह तो सब मटियामेट हो गया है। इसीलिए इस काल के करीब पचास प्रतिशत मनुष्य तो जानवर में ही जानेवाले हैं बेचारे ! मैं खुल्लमखुल्ला बता रहा हूँ। इसीलिए इस विषय की जड़ काट दी है ताकि फिर पूरा पेड़ अपने आप सूख जाए, बाकी ऐसी फ़ज़ीहत कौन करेगा ? अतः हमारे पास आकर दोनों ही ब्रह्मचर्यव्रत ले लेना, तो झंझट ही मिट जाएगी न! आपको व्रत लेने की गरज़ है या नहीं? उन्हें भी गरज़ है ? तो आपको ? तो दोनों ही ब्रह्मचर्यव्रत ले लेना, ताकि हमेशा के लिए झंझट ही मिट जाए। फिर वह क्या दख़ल करेगी? एक अक्षर बराबर भी दख़ल नहीं करेगी न ?
स्त्रियाँ पति को धमकाकर रखती हैं, उसका क्या कारण है ? पुरुष ज़्यादा विषयी होते हैं, इसीलिए धमाकाकर रखती है । ये स्त्रियाँ खाना खिलाती हैं, इसलिए धमाकाकर नहीं रखतीं, विषय के कारण धमाकाकर रखती हैं। यदि पुरुष विषयी नहीं होगा, तो कोई स्त्री धमाकाकर नहीं रखेगी! कमज़ोरी का ही फ़ायदा उठाती हैं । लेकिन यदि कमज़ोरी नहीं होगी, तो स्त्री कुछ भी नहीं करेगी । स्त्री जाति बहुत कपटवाली है और
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