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एक पत्नी व्रत का अर्थ ही ब्रह्मचर्य
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प्रश्नकर्ता : उनका धर्म ऐसा कहता है कि भले ही चार शादी करना, लेकिन दृष्टि मत बिगाड़ना। लेकिन दृष्टि बिगाड़नी या नहीं बिगाड़नी वह उसके हाथ में है न!
दादाश्री : इस जन्म में अभी यह ज्ञान सुनेगा तो अगले जन्म में फिट करके ही आएगा। फिर बाहर दृष्टि नहीं बिगड़ेगी।
प्रश्नकर्ता : केवल सुनने से ही?
दादाश्री : हाँ, यह ज्ञान यदि इसी जन्म में सुना हो कि ऐसा ही करना है तो पिछले जन्म में सुना नहीं था, इसलिए इस जन्म में शायद कभी बिगड़ जाए। लेकिन यह ज्ञान तो अगले जन्म में फिट हो जाएगा।
प्रश्नकर्ता : लेकिन फिर भी इस जन्म में जो कर्म बंधन किए हैं, वे तो भुगतने ही पड़ेंगे न फिर?
दादाश्री : वे तो भुगतने पड़ेंगे, लेकिन बाकी.. बाकी कुछ भी नहीं भुगतना पड़ेगा। उसका अंत आ जाएगा। लेकिन यह हिसाब फिर भी आ सकता है, लेकिन उन लोगों को स्पष्ट कहा गया है कि चार तक भोगना, लेकिन तुम बाहर दृष्टि मत बिगाड़ना। वह जो छूट दी गई है, वह भी आखिर में उन लोगों के स्वास्थ्य के लिए ही है। दृष्टि बिगाड़ना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मुसलमानों का यह कानून हमें बहुत पसंद है। मुसलमानों का कानून, बहुत अच्छा कानून है!
मुसलमानों के शास्त्रों में भी ऐसे सुंदर नियम हैं कि भैया, तुझे चार शादियाँ करनी हों तो करना, लेकिन दृष्टि मत बिगाड़ना किसी पर। उनका यह नियम अच्छा है न? तुझे कैसा लगता है ? ज्यादा गुनाह तो दृष्टि बिगाड़ने में है, पत्नियाँ रखने में नहीं। दृष्टि बिगड़ने का गुनाह बहुत बड़ा है। अन्य स्त्रियों की ओर दृष्टि बिगाड़े तो क्या वह अच्छा कहा जाएगा? इसलिए जो अपना है, वही भोगना। भगवान ने क्या कहा है? तू भोग, लेकिन जो तेरे हक़ का है, उसे भोग। अणहक्क का मत भोगना। यों ही अणहक्क के उपभोग की चेष्टा करने से तो अनंत जन्म बिगड़ जाएँगे। अब तेरी दृष्टि अन्य कहीं नहीं जाएगी न? कभी भी नहीं जाएगी न? इस काल में इसकी